गणेश चतुर्थी 2024: क्यों किया जाता है बप्पा का विसर्जन? अधिकांश लोगों को नहीं होगी जानकारी, आइए जानते हैं विसर्जन करने की वजह

  • क्या है गणेश चतुर्थी का महत्व?
  • क्यों करते हैं विसर्जन?
  • भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-15 12:54 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी का त्योहार 7 सितंबर को शुरू हुआ था। इस दिन घर- घर बप्पा पधारते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान विधि- विधान के साथ भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। साथ ही उन्हें लड्डू समेत मोदक का भोग लगाया जाता है। गणेश जी की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी के बाद गणेश विसर्जन क्यों होता है? आइए जानते है गणेश विसर्जन से जुड़ी कुछ खास बातें।

क्या है गणेश चतुर्थी का महत्व?

देवताओं में सबसे प्रथम गणेश जी को माना जाता है इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत में उनकी पूजा की जाती है। हालांकि यह त्योहार खास तौर से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में मनाया जाता है। लेकिन अब तो यह त्योहार पूरे भारत में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है।

क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी?

पुराणों में गणेश चतुर्थी मनाने के लिए कई कथाएं दी गई हैं। ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथी को भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। जिसके चलते इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

क्यों जरूरी है विसर्जन?

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, गणेश पूजा के 10 दिनों बाद विसर्जन करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ऐसा ना करने से यह दोष का कारण भी बन सकता है। अगर आप मूर्ती को सजावट के उद्देश्य से घर लाते हैं और विधी विधान के साथ स्थापना या विसर्जन नहीं करते हैं तो ये धार्मिक नजरिए से कोई दोष नहीं है।

क्यों किया जाता है विसर्जन?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, वेद व्यास जी ने महाभारत ग्रंथ लिखने के लिए गणेश जी को चुना था। वेदव्यास जी ने गणेश जी का आह्वान किया और गणेश जी ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार किया। जिसके बाद 10 दिनों तक वेद व्यास जी ने बिना रुके महाभारत सुनाई और गणेश जी ने उसको उनके बोलने की गति से लिखा। दस दिनों बाद वेदव्यास जी ने देखा कि उनका तापमान बहुत बढ़ गया है। जिसके बाद उन्होंने गणेश जी को तालाब में स्नान करवाया। जिसके बाद ऐसा माना जाता है कि तभी से ये प्रथा चली आ रही है। 

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