क्या है Symbiosexuality?: प्यार में डूबे कपल्स को देख आपका भी होता है प्यार करने का मन, इस तरह की सेक्सुअलिटी को वैज्ञानिकों ने दिया ये नया नाम!

  • सेक्सुअलिटी हमारी समझ से कहीं ज्यादा है- डॉ. सैली
  • जानें एक नई तरह की सेक्सुअलिटी के बारे में
  • वैज्ञानिकों ने की स्टडी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-02 11:09 GMT

जडिजिटल डेस्क, भोपाल। अमेरिका के सिएटल विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने एक स्टडी की जिसमें "सिम्बियोसेक्सुअल (Symbiosexuality)" नाम की एक नई सेक्सुअलिटी के बारे में पता चला है। आर्काइव्स ऑफ सेक्सुअल बिहेवियर में पब्लिश इस रिसर्च के मुताबिक, इस नए प्रकार के यौन आकर्षण को "एक कपल के प्यार की वजह से तीसरे व्यक्ति को मिलने वाली सेक्सुअल एनर्जी" के रूप में बताया गया है। सरल शब्दों में, इसका मतलब यह है कि जब व्यक्ति कपल्स के बीच साझा की गई एनर्जी से जुड़ता है। इस तरह की सेक्सुअलिटी अलग-अलग एज ग्रुप के लोगों के साथ किसी भी जेंडर के लोगों में पाई जा सकती है।

न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, स्टडी की लीड रिसर्चर और एंथ्रोपोलॉजी और सोशियोलॉजी की एडजंक्ट प्रोफेसर डॉ. सैली जॉनस्टन का मानना है कि सेक्सुअलिटी हमारी समझ से कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा, "हमें ह्यूमन अट्रैक्शन को दुबारा सोचने की जरूरत है।"

कौन होते हैं सिम्बियोसेक्सुअल्स 

स्टडी में बताया गया कि एक सिम्बियोसेक्सुअल (Symbiosexual) के रूप में पहचान रखने वाला व्यक्ति किसी भी कपल के तालमेल को अट्रैक्टिव पाता है और वो उस एनर्जी का हिस्सा बनना चाहता है। वो दो लोगों के बीच के प्यार से "प्रेम" करते हैं और उस प्रेम में खुद को डुबाना चाहते हैं। इस अट्रैक्शन को "इसके हिस्सों के योग से अधिक" के रूप में डिस्क्राइब किया जा सकता है।

सिम्बियोसेक्सुअल्स को अक्सर मोनोगैमस और नॉन-मोनोगैमस समुदायों में भी डिवाइड किया जाता है। साहित्य में इस नई तरह की सेक्सुअलिटी को "यूनिकॉर्न" का लेबल दिया गया है। हालांकि, यही शब्द गैर-मोनोगैमस समुदायों में एक नगेटिव मीनिंग रखता है, जो उन व्यक्तियों की ओर इशारा करता है जो कपल के साथ यौन गतिविधि में शामिल होने के लिए तैयार होते हैं लेकिन संबंध के अन्य पहलुओं में भाग नहीं लेते।

सिम्बियोसेक्सुअल्स किससे अट्रैक्ट होते हैं? 

रिसर्च में, जॉनस्टन ने कहा कि यौन लाभ के बावजूद, ऐसे रिश्तों में तीसरे पक्ष को खराब व्यवहार का सामना करना पड़ता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अलग-अलग तरह के लोग सिम्बियोसेक्सुअल अट्रैक्शन का एक्सपीरियंस करते हैं, जो कि रिश्तों के बीच साझा की जाने वाली एनर्जी की ओर अट्रैक्ट होते हैं।

जानें सिम्बियोसेक्सुअल्स ने अपने बारे में क्या बताया

पोस्ट के अनुसार, उन्होंने पाया कि 145 रिपोर्ट्स में पार्टिसिपेंट्स ने ये बताया कि उन्हें कपल से अट्रैक्शन फील होता है, ना कि किसी एक व्यक्ति से। उन्होंने यह भी पाया कि ज्यादातर लोग जो खुद को सिम्बियोसेक्सुअल मानते हैं, वो खुद को एक्सट्रोवर्ट, बहुत ज्यादा इंटिमेट, देखभाल और ध्यान की इच्छा रखने वाले मानते हैं। साथ ही, कम जलन करते हैं। जिन पार्टिसिपेंट्स ने खुद को क्वीर और यौन रूप से खुले हुए माना, उन्होंने बताया कि वो मुख्य रूप से क्वीर और गैर-हेतरोसेक्सुअल जोड़ों की ओर अट्रैक्ट होते हैं, जैसा कि स्टडी में बताया गया है।

जॉनस्टन रिश्तों के बीच की इस एनर्जी की और भी ज्यादा स्टडी करना चाहती हैं ताकि वो लोगों को इस फीलिंग के बारे में बता सकें। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह काम मोनोगैमस और नॉन-मोनोगैमस समुदायों की नगेटिव इमेज को ठीक करेगा और सेक्सुअलिटी स्टडी में डिजायर के कंसेप्ट का विस्तार करेगा।"

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (डॉक्टर/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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