पितृ पक्ष 2024: पितृ पक्ष में क्यों देते हैं कौवे को महत्व, क्यों कराते हैं कौए को भोजन, जानें इसके पीछे का महत्व
- पितृ पक्ष में क्यों देते हैं कौवों को खाना?
- क्या है कौवों का महत्व?
- कौए के अलावा और किसको भोजन देना चाहिए?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष की शुरूआत 17 सितंबर से हो चुकी है। पितृ पक्ष के समय पितरों की तिथि के मुताबिक तर्पण किया जाता है और उनका मनपसंद खाना बनाया जाता है। पितृ पक्ष में पितरों के रूप में कौए को खाना खिलाया जाता है। हिंदू धर्म में कौवों को पितरों का दर्जा दिया जाता है। पितृ पक्ष हो या कोई भी शुभ काम पितरों को याद करके लोग कौवों को भोजन कराते हैं। लेकिन आपने कभी सोचा है कि पितृ पक्ष में कौवों को ही क्यों खाना खिलाया जाता है?
कौओं को माना जाता है पितरों का रूप
हिंदू धर्म में कौवों को पितरों का रूप माना जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पितरों की आत्माएं कैवे का रूप रखकर अपने वंशजों से पूजा और खाना लेते हैं। ऐसा पितृ पक्ष में जरूर माना जाता है। कौवे बिना थके काफी दूर तक उड़ सकते हैं जिस दौरान कौवे के शरीर में कोई भी आत्मा वास कर सकती है साथ ही एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है। इसलिए कौवों को पितृ पक्ष में खाना खिलाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसका जन्म कौआ यौनी में होता है।
कौवे को पितर मानने की क्या कथा है
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इंद्र देव के बेटे जयंत ने कौए का रूप धारण किया था। राम जी ने जब कौए की एक आंख में तिनका डाल दिया तो कौए ने राम जी से माफी मांगी थी। जिसके बाद राम जी ने उसे आशीर्वाद दिया कि पितृ पक्ष में कौए को दिया गया भोजन पितरों को मिलेगा। मान्यता है कि कौवे को भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास हो जाता है। साथ ही कौवों को मेहमानों के आने का संकेत भी माना जाता है।
पितृ पक्ष में और किसको दिया जाता है भोजन?
पितृ पक्ष में कौए के अलावा गाय, कुत्ते और चींटियों को भी खाना खिलाया जाता है। इनको खाना खिलाने से पितरों को शांति मिलती है। पितृ पक्ष में गाय को भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। वहीं कुत्तों को खाना खिलाने से पितरों की आत्मा को संतुष्टी प्राप्त होती है।
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