कृष्ण जन्माष्टमी 2024: सिर्फ मथुरा-वृंदावन से ही नहीं बल्कि इन जगहों से भी है श्रीकृष्ण का पुराना नाता

  • कृष्ण जन्माष्टमी पर जाएं इन तीर्थ स्थलों पर
  • श्रीकृष्ण का इन जगहों से भी था गहरा नाता

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-25 13:30 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कृष्ण जन्माष्टमी इस साल 26 या 27 अगस्त को मनाया जाएगा। इस त्योहार पर मंदिरों और घरों में पहले से ही तैयारियां शुरू होने लगती हैं। बता दें कि इस दिन भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण का अवतार लेकर जन्म लिया था। श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे हुआ था। इसलिए उस समय उनके बाल रूप की पूजा की जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को पूरे भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। साथ ही श्रीकृष्ण से जुड़ी कथाएं और बाल लीलाएं हमेशा ही याद की जाती हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण के जन्मस्थान और बचपन को महसूस करने के लिए लोग मथुरा वृंदावन जाना पसंद करते हैं। बता दें कि उनके जीवन से जुड़े और स्थान भी हैं जहां से श्रीकृष्ण का बहुत ही गहरा संबंध है। चलिए जानते हैं उनके जन्म से जुड़े इन पवित्र स्थलों के बारे में।

द्वारका

गुजरात में स्थित द्वारका में श्रीकृष्ण का बहुत ही बड़ा मंदिर बना है। श्रीकृष्ण मथुरा छोड़कर गुजरात आए और आकर द्वारका नगरी बसाई। वह द्वारका के राजा भी कहे जाते हैं। साथ ही यह नगरी उनके शासनकाल में एक प्रमुख स्थान थी और आज भी यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। द्वारका को "भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी" भी कहा जाता है। द्वारकाधीश मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण है, जहाँ श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।

कुरुक्षेत्र

महाभारत का युद्ध हरियाणा के कुरुक्षेत्र में ही लड़ा गया था। साथ ही यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यह स्थान भारतीय इतिहास और धार्मिकता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर और गीता उपदेश स्थल प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।

सोमनाथ

ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने अपना अवतार समाप्त करने से पहले सोमनाथ के पास प्रभास क्षेत्र में अपना अंतिम समय बिताया था। यहीं पर उन्हें एक शिकारी के तीर से अपने शरीर को त्यागना पड़ा था। सोमनाथ मंदिर एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग मंदिर है और श्रीकृष्ण से जुड़ी अंतिम घटनाओं का साक्षी भी है।

गिरिराज पर्वत

मथुरा के पास स्थित एक पर्वत है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर उठाकर इंद्र के विक्राल क्रोध से अपने गोकुल वासियों को बचाया था। गोवर्धन पूजा और गोवर्धन परिक्रमा यहां के प्रमुख धार्मिक काम हैं। बता दें कि गोवर्धन पर्वत का संबंध श्रीकृष्ण की लीलाओं से है और यहां लाखों भक्त परिक्रमा करने आते हैं।

बरसाना

श्रीकृष्ण का बरसाना से भी एक गहरा नाता है। ऐसा कहते हैं कि बरसाने में राधा रानी रहती हैं। श्रीकृष्ण राधा जी से प्रेम करते थे। इसलिए श्रीकृष्ण राधा रानी से मिलने बरसाना जाया करते थे। यहां के रावल गांव में राधा रानी और श्रीकृष्ण का एक पेड़ भी है। 

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