मानसिक सुस्ती या शिथिलता क्या है? लक्षण, कारण और बचाव सब जाने

मानसिक स्वास्थ्य मानसिक सुस्ती या शिथिलता क्या है? लक्षण, कारण और बचाव सब जाने

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-16 08:49 GMT
मानसिक सुस्ती या शिथिलता क्या है? लक्षण, कारण और बचाव सब जाने

 डिजिटल डेस्क, भोपाल। मानसिक स्वास्थ्य अक्सर हम सभी लोग इस स्थिति का सामना जरूर करते हैं जब हमारा शरीर तो स्वस्थ होता है लेकिन उसके बाद भी हम अपने काम में ध्यान नहीं लगा पाते। हमारा शरीर को काम के लिए हमारा साथ देने के लिए तैयार है लेकिन दिल या मन कहता है कि अभी नहीं बाद में करते हैं। आपको काम देखते हुए थकान होना शुरू हो जाती है, नींद आने लगती है या और कई समस्याएँ होने लग जाती है, जिसे अक्सर दुसरे लोग सामान्य रूप से “आलस” कहते हैं। अगर यह स्थिति आपको कभी-कभी हो रही है तो यह बहुत ही समस्याएँ स्थिति है, लेकिन अगर आप इस का काफी लंबे समय से सामना कर रहे हैं तो यकीन मानिए आप आलसी नहीं हैं बल्कि आप मानसिक थकावट की समस्या से जूझ रहे हैं। 

लोगों को फ़िलहाल इस संबंध में कोई खास जानकारी नहीं है कि आखिर मानसिक थकावट है क्या? लोग आज भी इसे काम से बचने की बहाने के रूप में देखते हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है यह एक ऐसी समस्या है जो कि आने वाले समय में आपको कई अन्य शारीरिक और मानसिक समस्याओं से घेरने वाली है। तो चलिए मेरे लिखे इस लेख के जरिये मानसिक थकावट के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

 मानसिक सुस्ती या शिथिलता क्या है? 

शारीरिक थकान होने पर आपका शरीर थक जाता है, लेकिन जब आप मानसिक थकान का सामना करते हैंतो इसमें आपका दिमाग थक जाता है, लेकिन शरीर स्वस्थ बना रहता है। मानसिक थकावट की समस्या तब होती है जब आप लंबे समय तक किसी ऐसे काम को अंजाम दे रहे होते हैं जिसमें सामान्य से ज्यादा दिमाग लगाना पड़ता है और आपको ज्यादा ध्यान केन्द्रित करने की आवयश्कता होती है। सीधे शब्दों में कहें तो, मानसिक थकावट तब हो सकती है जब आपका मस्तिष्क बहुत अधिक उत्तेजना प्राप्त करता है या बिना आराम के तीव्र स्तर की गतिविधि को बनाए रखना पड़ता है। जैसे घर की चिंता, कला के क्षेत्र में कोई काम, समस्याओं का हल करना, कोई नीतिगत कार्य करने का भार, भारी अध्यन का कार्य और मानसिक स्थितियों को काबू रखने की स्थिति जैसी अन्य समस्याएँ। मानसिक थकावट की समस्या मूलतः वयस्कों में देखि जाती है, लेकिन वर्तमान समय यह समस्या बच्चों में भी देखने को मिल रही है, कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा।  

 मानसिक सुस्ती या शिथिलता के लक्षण क्या  है?

मानसिक सुस्ती की समस्या होने पर इसके लक्षण सामान्य रूप से धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, जिसे समझ पाना काफी आसान होता है। लेकिन, जब आप किसी ऐसी स्थिति से जूझ रहे होते हैं जब आपको मानसिक थकावट का सामना करना पड़ता हैं तो उस दौरान इसके लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लग जाते हैं। मानसिक थकावट होने पर इसके लक्षण तीन प्रकार से दिखाई देते हैं, जिन्हें निचे बयाता गया है :-

 मानसिक और भावनात्मक संकेत – 

मानसिक शिथिलता या सुस्ती होने पर आपको अपने अंदर निम्नलिखित मानसिक और भावनात्मक समस्याएँ हो सकती है, जिसकी वजह से आप खुद को अभूत कम सतर्क महसूस करते हैं और इसकी वजह से आपके लिए दैनिक कार्यों के प्रति ध्यान केन्द्रित कर पाना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इस दौरान आपको निम्नलिखित समस्याएँ हो सकती है :-

लगातार उदास बने रहना।

चिंता की स्थायी भावना।

निराशाजनक मनोदशा सहित अवसाद की भावनाएं।

किसी भी चीज़ की देखभाल करने में कठिनाई।

अलगाव की स्थिति होना – ऐसे में आप खुद को अकेला महसूस करना शुरू कर देते हैं।

निंदक या निराशावाद की भावना पैदा होना।

क्रोध या चिड़चिड़ापन – यह समस्या लगातार या कुछ समय के लिए हो सकती है।

भावनाओं को संसाधित करने और नियंत्रित करने में कठिनाई।

भय की भावना बने रहना।

बहुत जल्दी गुस्सा आना। 

आप सामान्य से ज्यादा सोचना शुरू कर देते हैं।

प्रेरणा या उत्पादकता में गिरावट। 

प्रतिक्रियाओं में सुस्ती या धीमा महसूस करना।

किसी भी जगह ध्यान केंद्रित करने, जानकारी को याद रखने, विचारों को एक साथ रखने या काम को सही ढंग से पूरा करने में कठिनाई।

 शारीरिक संकेत 

जब आप लगातार मानसिक थकावट की समस्या से जूझ रहे होते हैं तो ऐसे में इसका प्रभाव आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ना शुरू हो जाता है। ऐसे में आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-

सिर और शरीर में दर्द।

पेट से जुड़ी समस्याएँ।

सेक्स से जुड़ी समस्याएँ होना।

नींद से जुड़ी समस्याएँ होना। इस दौरान आपको पुरानी थकान, उनींदापन और अनिद्रा जैसी समस्याएँ हो सकती है। 

भूख में बदलाव होना। इस दौरान आपको भूख बढ़ और घट सकती है। 

वजन में परिवर्तन होना। ऐसी स्थिति में आपका वजन कम या बढ़ सकता है, लेकिन जो भी होगा वह सामान्य से तेजी से होगा।

इम्यून सिस्टम कमजोर होना। इसकी वजह से आप लगातार बीमार पड़ सकते हैं। 

खुद को अक्सर अस्वस्थ महसूस करना। 

 व्यवहार संकेत 

जब आप मानसिक थकावट की समस्या से जूझ रहे होते हैं तो ऐसे में आपके व्यवहार में लगातार बदलाव आने लगता है, जिसे आप और आपके करीबी बड़ी आसानी से महसूस कर सकते हैं। इस दौरान आपको निम्नलिखित बदलाव देखने को मिल सकते हैं :- 

आप अपने हर काम को टालने में लगे रहते हैं। 

आपके काम में गिरावट दिखाई देने लग जाती है 

आप इस दौरान होने वाली समस्याओं से बचाव के लिए शराब पीना शुरू कर देते हैं या अन्य नशीली चीजों की सहायता लेते हैं।

अपने करीबी लोगों से दूर भागना शुरू कर देते हैं।

दूसरों लोगों से बात करने में असहज महसूस करना शुरू कर देते हैं।

लोगों से बड़ी जल्दी से गुस्सा हो जाते हैं।

दूसरों के आसपास चिड़चिड़ा या विचलित महसूस करना शुरू कर देते हैं।  

अपनी जिम्मेदारियों को प्रबंधित करने या व्यक्तिगत या कार्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में परेशानी होने लगती है।

अपने करीबी लोगों के साथ बहस होना आम होने लगता है।

किसी भी चीज़ को याद रखने में कठिनाई होना शुरू हो जाती है। 

 मानसिक सुस्ती या शिथिलता होने कारण क्या है? 
मानसिक सुस्ती की समस्या तब हो सकती है जब आप अक्सर ऐसे कार्यों में लगे होते हैं जिनमें बहुत अधिक संज्ञानात्मक और भावनात्मक प्रयास की आवश्यकता होती है – खासकर जब अपने काम की वजह से अपने आराम और आत्म-देखभाल के लिए भी समय नहीं निकाल पाते। सभी लोगों में मानसिक थकावट होने के कारण और इसको बढ़ाने के कारण अलग-अलग हो सकते हैं।

 लेकिन इसके पीछे निम्नलिखित कारण मुख्य माने जाते हैं :- 

मांग या उच्च दबाव वाली नौकरी होना। अगर कोई व्यक्ति ऐसा काम करता है जहाँ ज्यादा दबाव होता है उन्हें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। 

आराम करने के लिए समय निकाले बिना लंबे समय तक काम करना

वित्तीय तनाव का अनुभव करना। अगर कोई व्यक्ति लगातार पैसों की कमी से जूझ रहा है तो उसे भी यह समस्या हो सकती है।

नौकरी में असंतोष। मानसिक तनाव का यह सबसे आम कारण है।

किसी प्रियजन की देखभाल करना जो गंभीर बिमारी से जूझ रहा है और उसे ठीक होने में लंबा समय लगने वाला है या वह लाइलाज बिमारी से जूझ रहा है। 

पुरानी बीमारी या मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के साथ रहना।

किसी प्रियजन को खोना। यह मुख्य रूप से प्रेम संबंध में ज्यादा होता है।

एक बच्चा होना। इस दौरान बच्चे के भविष्य को लेकर चिंताएं होने लग जाती है। 

कार्य-जीवन संतुलन या भावनात्मक समर्थन की कमी।  

लगातार सेक्स से जुड़ी समस्याओं का सामना। अगर आप सेक्स से जुड़ी समस्याओं के कारण अपने साथी को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं तो इसकी वजह से आपको यह समस्या हो सकती है। 

 मानसिक शिथिलता या सुस्ती और भावनात्मक सुस्ती कैसे भिन्न है?* 
सामान्यतया, "मानसिक" संज्ञानात्मक कौशल, जैसे सोच, स्मृति, निर्णय लेने और समस्या-समाधान को संदर्भित करता है। दूसरी ओर, "भावनात्मक", भावनाओं के साथ संबंध रखती है, जिसमें उन्हें पहचानने, संसाधित करने और व्यक्त करने की आपकी क्षमता भी शामिल है। मानसिक और भावनात्मक दोनों तरह की थकावट आपको अलग, प्रेरित, उदासीन और फंसा हुआ महसूस करवा सकती है। जिन चुनौतियों का आप सामना कर रहे हैं, उन्हें दूर करना असंभव लग सकता है, और आप कोशिश करते रहने के लिए बहुत अधिक थका हुआ महसूस कर सकते हैं। *

 इस दौरान आपको निम्नलिखित समस्याएँ हो सकती है जो कि मुख्य रूप से भावनात्मक सुस्ती के दौरान होती है  :- 

शोक

उदासी

क्रोध

अकेलापन

चिंता

 तनाव, मानसिक सुस्ती से कैसे अलग है? 

अपने जीवन में हम सभी लोग किसी न किसी रूप में तनाव का सामना करते हैं, जो कि कुछ समय के लिए होता है। तनाव एक शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया हैन जबकि मानसिक थकावट ऐसा नहीं है। 

तनाव की जैविक प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप एड्रेनालाईन  और कोर्टिसोल  सहित कई हार्मोन की वृद्धि होती है, जो आपको कथित खतरों और उच्च दबाव वाली स्थितियों का जवाब देने में मदद करती है जिनके लिए त्वरित सोच की आवश्यकता होती है। 

एक बार जब आप तनाव से निपट लेते हैं या उसे हटा देते हैं, तो आपके शरीर के हार्मोन को सामान्य स्तर पर वापस जाना चाहिए। लेकिन अगर आप लंबे समय तक किसी तनाव से जूझ रहे हैं तो ऐसे में आपको मानसिक थकावट की समस्या होना शुरू हो जाती है। सरल शब्दों में कहा जाए तो मानसिक थकावट तनाव का ही विकसित रूप है। 

जब आप एक चुनौती या चुनौतियों का सामना करना जारी रखते हैं जो आपके शरीर की तनाव प्रतिक्रिया को सक्रिय करती हैं, तो आपके कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ा हुआ रहता है। आखिरकार, बहुत अधिक कोर्टिसोल शरीर की सामान्य प्रक्रियाओं, जैसे पाचन, नींद और प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में हस्तक्षेप कर सकता है। संक्षेप में कहा जाए तो यदि आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं और आपको पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता, जिसकी वजह से आपके मस्तिष्क के पास इसे रिचार्ज और रीसेट करने का मौका नहीं है।

तनाव होने पर आपको मुख्य रूप से निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है :- 

चिंता

निराशा

घबराहट

दिल की धड़कन में बदलाव

सफल होने का दबाव

हालांकि, लंबे समय तक तनाव एक व्यक्ति को मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करा सकता है। यह आमतौर पर जॉब बर्नआउट के साथ होता है।

 शारीरिक कमजोरी मानसिक सुस्ती से कैसे अलग है? 

शारीरिक सुस्ती मानसिक थकावट के बिलकुल भी समान नहीं है। शारीरिक रूप से थका हुआ व्यक्ति मानसिक रूप से सतर्क हो सकता है, इस दौरान व्यक्ति कितना मानसिक रूप से मजबूत होगा इस बारे में स्थिति के अनुसार ही आंकलन किया जा सकता है। हालांकि, शारीरिक थकावट से मानसिक थकावट हो सकती है – उदाहरण के लिए खिलाड़ी, इन्हें शारीरिक थकावट के साथ-साथ जितने की मानसिक थकावट भी हो सकती है। 

 एक व्यक्ति को शारीरिक थकावट होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें से निम्नलिखित सामान्य कारण है :- 

एक गहन कसरत या अन्य शारीरिक गतिविधि के बाद।

जब आप कई रातों में बाधित या अपर्याप्त नींद लेते हैं।

यदि आप ऐसा काम करते हैं, जिसमें आपको शारीरिक परिश्रम करना पड़े।

किसी बीमारी से जूझ रहे हों या बीमारी से छुटकारा पाया हो।

यह संभव है कि जब आप लंबे समय तक बिना किसी आराम के शारीरिक थकावट का सामना करते हैं तो उसकी वजह से आपको मानसिक थकावट हो सकती है। 

 मानसिक सुस्ती होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए  ?

कभी-कभी, अंदरुनी चिकित्सा स्थिति  के कारण मानसिक थकावट के लक्षण हो सकते हैं।

 अगर आप निम्नलिखित समस्याओं से जूझ रहे हैं तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से ल संपर्क करना चाहिए :- 

अगर आप मानसिक सुस्ती  का उपचार ले रहे हैं और इस दौरान आपको सिने में दर्द महसूस होने लगे। 

मानसिक थकावट के दौरान आपके दिल की धड़कन बढ़ने लगे। 

मानसिक थकावट होने पर अगर आपका ब्लड प्रेशर सामान्य से ज्यादा बढ़ा हुआ रहने लगे। 

आप शारीरिक थकावट को दूर करने के लिए कई उपाय अपना चुके हैं। लेकिन फिर भी मानसिक थकावट का सामना कर रहे हैं। 

अगर आप गंभीर रूप से उदास या चिंतित महसूस कर रहे हैं।

अगर आप किसी नई दवा को लेने के मानसिक थकावट महसूस कर रहे हैं।

 मानसिक थकावट का उपचार और मुकाबला कैसे करें ?

एक बार जब आप इस बात को स्पष्ट रूप से जान लेते हैं कि आप मानसिक थकावट से जूझ रहे हैं तो ऐसे आपके दिमाग में यह आने लगता है कि अब आगे क्या करें? भारत में अक्सर मानसिक रूप से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात करना काफी असहज है। अक्सर लोग इस बारे में अपने परिवार से भी बात करने में असहज महसूस करते हैं क्योंकि इस संबंध में जागरूकता काफी कम है। लेकिन जब आप मानसिक स्थिति से जुड़ी किसी भी समस्या स जूझ रहे हैं तो हम आपको सलाह देंगे कि आप इस बारे में अपने दोस्तों, परिवार और अपने करीबियों से बात करें। सबसे बेहतर होगा कि आप इस बारे में अपने सहकर्मियों के साथ बात करें। वहीं कार्यक्षेत्रों में भी इस संबंध में भी करनी जरूरी है, ताकि कर्मचारी ठीक से काम कर सके। मानसिक थकावट मुख्य रूप से जॉब करने वाले लोगों को सबसे ज्यादा होती है, क्योंकि वह दिन भर कई चुनौतियों का सामना करते हैं। 

 अगर आप इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आप निम्नलिखित उपायों की मददसे इस समस्या से छुटकारा या मुकाबला कर सकते हैं :-* 

तनाव दूर करें – अगर आप किसी भी समस्या के चलते तनाव लेते हैं तो संबंधित तनाव के बारे में किसी से बात करें ताकि तनाव को कम किया जा सके।

एक ब्रेक लें – अगर आप लगातर काम करते रहेंगे तो आपको न केवल मानसिक थकावट बल्कि शारीरिक थकावट के साथ-साथ अन्य शारीरिक समस्याएँ होना भी शुरू हो जाएंगी। ऐसे में आपको समय-समय पर ब्रेक लेना चाहिए। 

 आप निम्नलिखित प्रकार से ब्रेक ले सकते हैं :-

कुछ दिनों के लिए कहीं घुमने जाएं 

अपनी पसंद का काम करें

अपनी पसंद का संगीत सुनने के लिए समय निकाले 

परिवार और दोस्तों के साथ सप्ताह में एक दिन बाहर घुमने जाएं

दोपहर के भोजन के बाद टहलने की आदत डालें

 विश्राम तकनीकें अपनाएं – आप कुछ ऐसे उपायों को अपनाना शुरू करें जिससे आपको मानसिक शांति मिले। ऐसे में आप निम्नलिखित उपायअपना सकते हैं :-

सचेतन ध्यान लगाएं 

योग करें 

मालिश करवाएं

अरोमा थेरेपी

कोई पसंद की किताब पढ़ें 

प्रकृति के करीब समय बीताएं 

भजन सुने 

अधिक नींद लेने की कोशिश करें – अच्छी नींद न केवल अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है, यह मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिए भी आवश्यक है। हर रात अनुशंसित 7 से 8 घंटे की नींद लेने का लक्ष्य मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की थकान को दूर करने में मदद कर सकता है।

व्यायाम करें – अगर आप नियमित रूप से व्यायाम करते हिं तो शरीर में उर्जा का स्तर बढ़ता है जिससे मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वह सामान्य से ज्यादा बेहतर तरीके से काम करना शुरू कर देता है। 

आहार का विशेष ध्यान रखें – अगर आप अपने खाने का विशेष ध्यान देते हैं तो उससे भी आपको मानसिक थकावट की समस्या में काफी आराम मिलता है। ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह से अपने खाने में सूखे मेवे और गाय का घी विशेष रूप से शामिल कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर आप मानसिक स्थितियों का सामना कर रहे हैं तो ऐसे में देसी गाय के घी की कुछ बुँदे नाक में डालने से मानसिक स्थितियों में काफी आराम मिलता है। लेकिन इस उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि इस उपाय की शुरुआत में अक्सर लोगों को उल्टी आने की समस्या हो जाती है। 

दवाएं लें – मानसिक थकावट होने पर लक्षणों और कारणों के आधार पर दवाएं दी जा सकती है। ऐसे में मुख्य रूप से निम्नलिखित दवाएं दी जा सकती है :- 

एंटीडिप्रेसन्ट 
 
चिंता-विरोधी दवाएं

नींद में सहायक 


कोई भी उपचार लेने से पहले डॉक्टर से बात जरूर करें।

 भवदीय ,
 डॉ भावना राय पटेल 
Gynaecologist (Mother n baby care center-Bhopal)/counselor/psychologist

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