मदर्स डे स्पेशल : मां को इस मदर्स डे पर दे ट्रिप का तोहफा, जाए इन खूबसूरत जगहों पर

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-13 12:00 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है और इस साल यह दिन 14 मई 2023 को मनाया जाएगा। वैसे तो मां को स्पेशल फील कराने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं होती हैं, लेकिन जिस तरह का थैंकलेस जॉब वह करती हैं तो कम से कम एक दिन तो साल में ऐसा होना ही चाहिए, जिस दिन वह स्पेशल फील करें। आजकल की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों के पास भी अक्सर समय नहीं होता है।

कई लोग होते हैं जो अपने बिजी शेड्यूल के कारण मां के लिए अपना समय नहीं निकाल पाते हैं। इसलिए वह इस दिन का खासतौर पर इंतजार करते हैं और अपने इस दिन को अपनी मां के लिए खास बनाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, मां का दिल इतना नरम होता है कि वह आपके साथ बिताए गए थोड़े से समय में ही खुश हो जाएगी। लेकिन यह आपकी भी जिम्मेदारी बनती है कि इस दौरान अपनी मां के साथ सिर्फ थोड़ा नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करने की कोशिश करें। इसके लिए आप रोज-मर्रा की बिजी जिंदगी से समय निकालकर अपनी मां के साथ ट्रिप प्लान कर सकते हैं।

इससे आपकी मां काफी खुश भी हो जाएंगी और आप अपनी मां के साथ टाईम स्पेंड भी कर पाएंगे। तो चलिए जानते हैं, इस मदर्स डे पर आप मां के साथ घूमने के लिए कहां-कहां जा सकते हैं -

वाराणसी

उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर गंगा किनारे स्थित है। यह भगवान शिव की प्रिय नगरी है, वहां का वातावरण धार्मिक और मनमोहक है। इस धर्म स्थल पर जाकर आपकी मां काफी खुश हो जाएंगी। इस के साथ ही आप शाम को गंगा आरती देख सकते है और मां के साथ घाट पर बैठ कर टाईम स्पेंड भी कर सकते हैं। यहां का पान, चाट, कचौरियां आपकी मां को जरूर पसंद आएगा। आपके बजट में और दो दिन की छुट्टी मनाने के लिए आप मां को बनारस घूमाने ले जा सकते हैं।

ऋषिकेश

अगर आस्था के साथ सुकून और एडवेंचर का लुत्फ भी उठाना चाहते है तो आप ऋषिकेश भी जा सकते हैं। मां को आपके साथ ऋषिकेश घूम कर काफी मजा आएगा। ऋषिकेश में केवल मंदिरों के दर्शन न करें, बल्कि मां के साथ रिवर राफ्टिंग पर भी जाएं। उन्हें भी अपनी मौज मस्तियों में शामिल करें। सुबह की शांति में योग और शाम को गंगा किनारे बैठकर बहुत सारी बातें करने के लिए यह जगह बेस्ट है।

नैनीताल

दो दिन के ट्रिप पर मई के महीने में किसी सुंदर जगह पर जाना चाहते हैं तो मां को लेकर नैनीताल जा सकते हैं। उत्तराखंड का नैनीताल बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। यहां की प्रकृति का नजारा देख और प्रसिद्ध माल रोड मार्केट घूमकर मां खुश हो जाएगी।

माउंट आबू

राजस्थान का खूबसूरत हिल स्टेशन माउंट आबू इकलौती जगह है, जहां गर्मियों में भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं। माउंट आबू को किलों की धरती कहा जाता है। यहां आप मां के साथ घूमने जाए तो माउंट आबू वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की सैर करने जरूर जाएं। यहां कई बौद्ध मंदिर हैं, साथ ही ऐतिहासिक हिंदू धार्मिक स्थल भी हैं। इसके अलावा नक्की झील में मां के साथ बोटिंग का आनंद भी ले सकते हैं।

मदर्स डे के मौके पर सभी मांओं को डेडिकेट है ये खास कविता

हां एक अंधेरी कोठरी में पल-पल बढ़ता मैं

नहीं था कोई संगी साथी, चल एक अनजान डगर पर

सोचा शब्दों का जामा पहना

उकेर दूं अपने अनुभव को, जो पाया मैंने

यूं समझ लो आत्मकथा है ये मेरी

जिसे जिया मैंने नौ महीने

सोचता , ये कहां आ गया मैं पानी के तालाब में

एक-एक अंग को बनते देख अंधियारे की उस दीवाल पे

हाथ पैर सिकोड़े, उलट- पलट होते

कभी होता सिर ऊपर, तो कभी होती टांगे

ईश्वर से पूछा भगवन, रहूंगा कैसे बिन तुम्हारे

बोले गर्भ में हो जिसके, स्पर्श को पहचान उसके

देखते-देखते बीत गए छः महीने मेरे

कभी खाता खट्टा -मीठा , कभी लेता तीखे चटकारे

अब तो देखो बड़ा स्वाद आ गया मुंह में मेरे

मां की किसी बात पर जब आता गुस्सा मुझको

हाथ पैर चलाकर परेशान करता मैं उनको,

पर मां की ममता देखो, करती इजहार खुशी का

सबको बतलाती देखो, बच्चे ने कैसी छलांग है मारी

सुकून भरा पल वह होता , जब पेट पर रखकर कान

धड़कन सुनते मेरे पापा , करते मुझसे बात

जरा सी धड़कन होती मेरी कम,

तो लग जाता डॉक्टरों का तांता

ऐसे उठो , ऐसे बैठो, पौष्टिक खाना खाओ, बहु तुम ,

निर्देश देती दादी की आवाज से, आत मुझे मजा बड़ा

दादा आते छड़ी घुमाते, रबड़ी ला मां को खाने को कहते

ठं डी-ठं डी रबड़ी खाकर, सो जाता मैं पेट में मां के

यूं ही रोज बढ़ते-बढ़ते हो गए सात महीने पूरे,

जुड़ गया फिर पूरा कुनबा , बेबी शॉवर क फंक्शन में

गर्भनाल से जुड़ा हुआ मै, खुशियों भरी आवजें सुनता

आठ महीना होते-होते, हो गय मैं लंबा पूरा

इधर अटकता , उधर अटकता , अब समझ रहा था तकलीफें मां की

प्यार से मां को सहलाने की, कोशिश करता पूरी- पूरी

मां के सिर पर तेल लगाती दादी मीठे भजन है गाती

रामायण के दोहे सुना कर , देश के वीरों की कथा सुनाती

संस्कारों के संग ज्ञान की बातें, गर्भ में सीखी अच्छी बातें

अब तो लगता ,बस बहर आ जाऊं , नानी -दादी की गोद में समाऊं

समय आ गया अब, समझ गया मैं

डॉक्टरों का जमघट देख, डर गया मैं

पर ज्यों ही मैं बाहर आया , बधाइयों का लग गय तांता

मोबाइल का बटन दबाकर , बिजी हो गए सारे के सारे

दादी एक मोबाइल मुझको भी दे दो , ईश्वर से करनी है बातें

धन्यवाद मैं उनक कर दूं, जिसने भेजा मुझ को पास तुम्हारे।

खट्टे मीठे मेरे अनुभव, बांटे मैंने आपके साथ

मान कठिन डगर थी लंबी, फिर भी था आलौकिक एहसास ।।

सुशीला बियानी, इंदौर

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