दुर्गा पूजा 2024: हर दुर्गा पूजा में होता है धुनुची नृत्य, बिना इसके अधूरी है दुर्गा पूजा, जानें क्या है इसका महत्व
- दुर्गा पूजा में किया जाता है धुनुची नृत्य
- धुनुची नृत्य के बिना अधूरी दुर्गा पूजा
- धुनुची नृत्य का क्या है महत्व?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुर्गा पूजा का त्योहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। ये दुर्गा मां की पूजा और उत्सव के लिए मनाया जाता है। वैसे तो इस त्योहार को पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन बंगाल की दुर्गा पूजा की बात ही अलग है। जैसी दुर्गा पूजा बंगाल में देखने मिलती है वैसी कहीं भी देखने नहीं मिलती है। बंगाल के लिए दुर्गा पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण है। बता दें इस साल दुर्गा पूजा 8 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। इस समय देश के गली गली में दुर्गा माता के पांडाल देखने मिलेंगे। जहां अलग-अलग कार्यक्रमों का कार्यक्रम भी होता है। उसमें से एक धुनुची नृत्य भी है।
धुनुची नृत्य क्या होता है?
धुनुची नृत्य एक बहुत ही अलग तरीके का नृत्य होता है। जिसे खासतौर पर दुर्गा पूजा में किया जाता है। ये एक पारंपरिक नृत्य है जिसमें नर्तक एक धुनुची नाम के बर्तन को अपने सिर पर संतुलित करते हुए नृत्य करते हैं। धुनुची बर्तन एक अलग तरह की धुनुची मिट्टी से बना होता है। जिसमें धूप, नारियल की जटाएं और हवन सामग्री जलाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस सुगंध से देवी मां प्रसन्न होती हैं। इसलिए देवी मां के सामने धुनुची नृत्य किया जाता है।
महानवमी पर क्या है खास महत्व?
ये सप्तमी से शुरू होता है और महानवमी तक किया जाता है। इस नृत्य का खास महत्व महानवमी पर होता है। इस डांस में नर्तक धुनुची को अपने सिर पर संतुलित करते हुए अलग-अलग मुद्राओं में नृत्य करते हैं। जो देखने में बहुत ही ज्यादा आकर्षक और सुंदर लगता है। धुनुची नृत्य में लोग धुनुची को हाथ में पकड़कर नृत्य करते हैं। लेकिन कुछ लोग इतने तेज होते हैं कि वो धुनुची को मुंह में पकड़कर भी डांस कर लेते हैं।
क्यों किया जाता है धुनुची नृत्य?
धुनुची नृत्य का संबंध शक्ति से है। ऐसा माना जाता है कि, दुर्गा मां ने महिषासुर का वध करने से पहले अपनी शक्तियों को और ज्यादा बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था। तभी से इस नृत्य की शुरूआत हुई थी। जिसे भक्तजन आजतक करते आ रहे हैं। इसके अलावा, एक मान्यता ये भी है कि धुनुची में डाली गई धूप और चावल देवी मां को खुश करते हैं। नर्तक अपने नृत्य से देवी मां की स्तुति करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।