मदर्स डे के लिए नहीं है कोई प्लान? तो इस तरह दें अपनी मां को सरप्राइज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सभी के जीवन में मां की भूमिका अहम होती है। जब दुनिया के सभी रिश्ते नाते बुरे वक्त में आपका साथ छोड़ कर चले जाते है।तब केवल मां ही निस्वार्थ भाव से आपका हाथ थामें रखती है। मदर्स डे एक ऐसा दिन है जो मां को समर्पित है, यह दिन हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है । इस साल यह दिन 14 मई को मनाया जाएगा। इस दिन को लोग अपने-अपने तरीके से सेलिब्रेट करते हैं। लेकिन अगर आपने अभी तक मदर्स डे के लिए कुछ प्लान नहीं किया है तो, हम आपको बताने वाले है कुछ आसान तरीके जिनकी मदद से आप घर पर ही अपनी मां को स्पेशल फील करा सकते हैं।
सुबह जल्दी उठकर बनाएं मां की पसंद का नाश्ता
रोज घर में सबसे पहले अगर कोई जागता है तो वो मां है। सुबह जल्दी उठने के बाद मां के दिन की शुरूआत किचन से होती है। रोज की तरह वह अपने काम में लग जाती है, जिनमें सबका नाश्ता बनाना और बच्चो का टिफिन तैयार करना मुख्य तौर पर शामिल है। मदर्स डे के दिन आप मां से पहले उठकर उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करें और फिर अपने हाथो से उन्हें खिलाएं। यह देखकर मां को बहुत खुशी होगी।
पूरा एक दिन अपनी मां के साथ बिताएं
हमारी रोज की जिंदगी बहुत व्यस्त हो गई है। रोज सुबह उठकर काम पर जाना और फिर रात में थक हार के घर आकर सो जाने से हम अपनों को बहुत कम समय दे पाते हैं। यह दिन मां का है इसलिए मदर्स डे वाले दिन आप एक दिन की छुट्टी लें और पूरा दिन मां के साथ बिताएं। उनके साथ कहीं घूमने जाएं, परिवार की पुरानी तस्वीरें देखें और मां के साथ काम करवाएं।
तोहफे देकर करें सरप्राइज
गिफ्ट सभी को पसंद होते है, आप अपनी मां को ऐसी चीज गिफ्ट में दे जो उन्हें बेहद पसंद हो। चुपचाप जाकर आप उसे मां के लिए तोहफा लें आएं और फिर उन्हें सरप्राइज दें। इसके साथ आप उनसे केक कटिंग करवाएं यह सब देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा
मदर्स डे के मौके पर सभी मांओं को डेडिकेट है ये खास कविता
हां एक अंधेरी कोठरी में पल-पल बढ़ता मैं
नहीं था कोई संगी साथी, चल एक अनजान डगर पर
सोचा शब्दों का जामा पहना
उकेर दूं अपने अनुभव को, जो पाया मैंने
यूं समझ लो आत्मकथा है ये मेरी
जिसे जिया मैंने नौ महीने
सोचता , ये कहां आ गया मैं पानी के तालाब में
एक-एक अंग को बनते देख अंधियारे की उस दीवाल पे
हाथ पैर सिकोड़े, उलट- पलट होते
कभी होता सिर ऊपर, तो कभी होती टांगे
ईश्वर से पूछा भगवन, रहूंगा कैसे बिन तुम्हारे
बोले गर्भ में हो जिसके, स्पर्श को पहचान उसके
देखते-देखते बीत गए छः महीने मेरे
कभी खाता खट्टा -मीठा , कभी लेता तीखे चटकारे
अब तो देखो बड़ा स्वाद आ गया मुंह में मेरे
मां की किसी बात पर जब आता गुस्सा मुझको
हाथ पैर चलाकर परेशान करता मैं उनको,
पर मां की ममता देखो, करती इजहार खुशी का
सबको बतलाती देखो, बच्चे ने कैसी छलांग है मारी
सुकून भरा पल वह होता , जब पेट पर रखकर कान
धड़कन सुनते मेरे पापा , करते मुझसे बात
जरा सी धड़कन होती मेरी कम,
तो लग जाता डॉक्टरों का तांता
ऐसे उठो , ऐसे बैठो, पौष्टिक खाना खाओ, बहु तुम ,
निर्देश देती दादी की आवाज से, आत मुझे मजा बड़ा
दादा आते छड़ी घुमाते, रबड़ी ला मां को खाने को कहते
ठंडी-ठं डी रबड़ी खाकर, सो जाता मैं पेट में मां के
यूं ही रोज बढ़ते-बढ़ते हो गए सात महीने पूरे,
जुड़ गया फिर पूरा कुनबा , बेबी शॉवर क फंक्शन में
गर्भनाल से जुड़ा हुआ मै, खुशियों भरी आवजें सुनता
आठ महीना होते-होते, हो गय मैं लंबा पूरा
इधर अटकता , उधर अटकता , अब समझ रहा था तकलीफें मां की
प्यार से मां को सहलाने की, कोशिश करता पूरी- पूरी
मां के सिर पर तेल लगाती दादी मीठे भजन है गाती
रामायण के दोहे सुना कर , देश के वीरों की कथा सुनाती
संस्कारों के संग ज्ञान की बातें, गर्भ में सीखी अच्छी बातें
अब तो लगता ,बस बहर आ जाऊं , नानी -दादी की गोद में समाऊं
समय आ गया अब, समझ गया मैं
डॉक्टरों का जमघट देख, डर गया मैं
पर ज्यों ही मैं बाहर आया , बधाइयों का लग गय तांता
मोबाइल का बटन दबाकर , बिजी हो गए सारे के सारे
दादी एक मोबाइल मुझको भी दे दो , ईश्वर से करनी है बातें
धन्यवाद मैं उनक कर दूं, जिसने भेजा मुझ को पास तुम्हारे।
खट्टे मीठे मेरे अनुभव, बांटे मैंने आपके साथ
मान कठिन डगर थी लंबी, फिर भी था आलौकिक एहसास ।।
सुशीला बियानी, इंदौर