भारत-मालदीव विवाद: क्या था भारत और मालदीव के बीच हुआ वो अहम समझौता, जिसे मोइज्जू ने सत्ता में आते ही रद्द कर दिया था?

  • मोइज्जू ने फिर उगला भारत के खिलाफ जहर
  • हाइड्रोग्राफिक समझौता के ओर किया इशारा
  • इस्लाम को लेकर कही बड़ी बात

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-05 14:55 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने एक बार फिर अपना भारत विरोधी रुख दोहराया है। सोमवार को संसद की बैठक में दिए अपने पहले भाषण में उन्होंने भारत का नाम लिए बगैर निशाना साधा। मोइज्जू ने कहा कि किसी भी देश को मालदीव की संप्रभुता में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी पर मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा, 'भारत के साथ हुई बातचीत में तय हो गया है कि उनके सभी 80 भारतीय सैनिक 10 मई तक भारत लौट जाएंगे।' उन्होंने बताया कि 'फिलहाल मालदीव में भारत के तीन एविएशन प्लेटफॉर्म हैं। इसमें से एक पर मौजूद भारतीय सैनिक 10 मार्च तक जबकि, दो और प्लेटफॉर्म पर मौजूद बाकी सैनिक 10 मई तक अपने देश चले जाएंगे।' बता दें कि भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर पिछले साल दिसंबर में दुबई में आयोजित कलाइमेट समिट के दौरान पीएम मोदी और मोइज्जू के बीच बातचीत हुई थी।

'इंडिया आउट' के नारे पर सत्ता पर में काबिज हुए मोइज्जू ने कहा, 'मुझे इस बात का यकीन है कि मालदीव की बहुसंख्यक जनता हमारी सरकार का सपोर्ट करती है। उन्होंने आगे कहा कि जनता को इस बात की उम्मीद है कि उनकी सरकार विदेशी सैनिकों की मालदीव में मौजूदगी को खत्म कर देगी।

भारत-मालदीव हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौता

अपने भाषण में मोइज्जू ने कहा कि मालदीव की जनता को उनकी सरकार से ये उम्मीद भी है कि वो मालदीव के खोए हुए समुद्री इलाके को दोबारा हासिल कर लेगी। दरअसल इस बात के जरिए मोइज्जू भारत और मालदीव के बीच हुए हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौते की ओर इशारा कर रहे थे। दरअसल, जल विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग और खोज के लिए दोनों देशों के बीच जून 2019 में यह समझौता हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते में भारत मालदीव के समुद्री क्षेत्र में हाईड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करता था। इसके तहत भारत ने वहां अपने कई जहाज तैनात भी किए थे।

क्या होता है हाइड्रोग्राफिक सर्वे?

दरअसल, इस सर्वे में जो डाटा मिलता है उससे यह जानने में सहायता मिलती है कि कोई भी देश अपनी सीमा पर कितने और कौन से हथियार तैनात करता है। इसके साथ ही इस डेटा का यूज समुद्री पर्यावरण, सुरक्षित नेविगेशन और समुद्री शोध के लिए भी किया जाता। बता दें कि भारत और मालदीव के बीच यह अहम समझौता मोइज्जू के सत्ता में आने के साथ ही खत्म हो गया।

इस्लाम को लेकर बोले मोइज्जू

अपने संबोधन में मोइज्जू ने मालदीव के इस्लामिक देश होने पर गर्व जताया। साथ ही इस दौरान उन्होंने साल 1932 में मालदीव में स्थापित पहली संसद में सुल्तान मोहम्मद शम्सुद्दीन के भाषण का भी जिक्र किया। मोइज्जू ने कहा कि उनकी सरकार का रवैया भी सुल्तान मोहम्मद शम्सुद्दीन के जैसा ही है। बता दें कि शम्सुद्दीन इस्लाम को मालदीव के लिए आशीर्वाद बताते थे।

मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा, 'क्या यह हमारे लिए वरदान नहीं है कि हम इस्लामिक देश बने रहें? यह बात निश्चित है कि इस्लाम के अलावा कोई दूसरा धर्म नहीं है जो समानता और न्याय की गारंटी देता है। हमें इसके लिए कोई सबूत दिखाने की जरूरत नहीं है। क्या यह हमें मिला आशीर्वाद नहीं है कि हम अपनी शक्ति के तहत स्वतंत्र बने रहें? वर्तमान समय में भी, कई बड़े देश ऐसे हैं जहां लोग अपने अधिकारों के लिए जान दे रहे हैं।'

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