चीन पर शिकंजा!: ट्रंप ने कर ली है ड्रैगन पर लगाम कसने की तैयारी! ये करीबी 3 शख्स पड़ेंगे चीन पर भारी, भारत पर पड़ेगा क्या असर?

  • ड्रैगन को फिर बना रहा ट्रंप अपना निशाना?
  • पहले 3 सिलेक्शन्स पर भारत पर पड़ सकता है भारी असर
  • जानें उन तीन सिलेक्शन्स के बारे में

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-12 10:13 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से दुनिया के सबसे मजबूत और ताकतवर देश को संभालने की जिम्मेदारी उठा ली है। वह एक के बाद एक अपनी टीम में लोगों को शामिल करने में लगे हुए हैं। इस कड़ी मेहनत में उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री के पद पर अपने पसंद के लोगों को चुन लिया है। इन फैसलों के बाद अब दुनिया में जियोपॉलिटिक्स बदलती हुई नजर आ सकती है। जिससे चीन के लिए मुसिबत तो भारत के लिए अवसर बन सकता है।

कौन हो सकता है अमेरिका का एनएसए?

वॉर वेटेरन माइक वॉल्ट्ज अमेरिका के नए एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बन हो सकते हैं। बता दें, अफगानिस्तान, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के युद्ध मोर्चों में वॉल्ट्ड काफी बार शामिल होते दिखे हैं। इसके अलावा वह काफी समय से अमेरिका के मजबूत डिफेंस स्ट्रैटजी की वकालत करते आए हैं। देश की सुरक्षा और उसको मजबूत बनाने में काफी हिमायती हैं।

वॉल्ट्ज का एनएसए बनना भारत के लिए खुशी की बात क्यों?

माइक वॉल्ट्ज अमेरिका के सीनेट में इंडिया कॉकस के प्रमुख हैं। भारत को लेकर वह अपना काफी नरम अंदाज रखते हैं। पिछले साल भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के दौरे पर कैपिटल हिल में पीएम मोदी के भाषण के लिए वॉल्ट्ज ने ही सारी जिम्मेदारियों का ख्याल रखा था। साथ ही वह कई बार भारत से अमेरिका और भारत के बीच बिजनेस बढ़ाने की बात भी कर चुके हैं। जिससे ये माना जा रहा है कि वॉल्ट्ज के एनएसए बनने पर भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों की मजबूती बढ़ेगी।

वॉल्ट्ज का एनएसए बनना चीन के लिए गम की बात क्यों?

भारत जैसे संबंध चीन के लिए एक जैसे नहीं कहा जा सकता है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि वॉल्ट्ज का एनएसए बनना चीन के लिए एक खुशी की बात बिल्कुल नहीं है। क्योंकि वॉल्ट्ज जो बाइडेन के साथ-साथ चीन की भी भर-भर के आलोचना करते हैं। साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तब उनके कार्यकाल में वॉल्ट्ज ने सीनेटर के तौर पर चीन पर भारी टैरिफ लगाने के बयानों पर ट्रंप का खूब समर्थन किया था।

मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के तौर पर गया चुना

ट्रंप ने मार्को रुबियो को देश के विदेश मंत्री के पद के लिए चुना है। पहले रुबियो रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने गए थे लेकिन उसके बाद ट्रंप ने जेडी वेंस का चुनाव किया था। लेकिन उसके बाद उनको विदेश मंत्री के तौर पर चुनने के लिए ट्रंप ने रुबियो पर अपना भरोसा जताया है। रुबियो को भी एंटी चीन रुख के लिए जाना जाता है। वहीं, भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का रुबियो भी समर्थन करते हैं। उन्होंने अक्सर भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया है।

वित्त मंत्री कौन?

अमेरिका के वित्त मंत्री के तौर पर ट्रंप ने स्कॉट बेसेंट पर अपना भरोसा जताया है। उन्हें ट्रंप का बहुत ही करीबी माना गया है। ट्रंप ने इन फैसलों से पहले भी उन्होंने बेसेंट से फ्लोरिडा में मार-ए-लागो में उनसे मुलाकात की थी। जिसके बाद स्कॉट और ट्रंप का एक साथ आना इस तरफ इशारा कर रहा है कि वह भी चीन की नीतियों से खुश नहीं हैं। 

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