धारा 144 लागू: कमरतोड़ महंगाई के विरोध में PoK में जनता और पुलिस के बीच हिंसक झड़प, कई पुलिसकर्मी घायल, एक की मौत

  • 70 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट करने की खबरें
  • कर्ज के चक्कर में फंसा पाकिस्तान
  • 59 पुलिसकर्मी जख्मी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-12 07:05 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में युद्ध जैसे हालात बने हैं। सरकार के खिलाफ विरोध में उतरे लोगों और पुलिस के बीच झड़प हुई। शुक्रवार को बड़ी संख्या में कश्मीरी पाकिस्तान के अत्याचार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे , पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच गोलीबारी की खबरें सामने आई हैं। एसएसपी यसीन बेग ने कहा कि रेहान गली में पुलिस उपाधीक्षक इलियास जंजुआ और दो राजस्व विभाग के अधिकारियों सहित 59 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि सहंसा बरोइयां में 19 अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए. वहीं, एक पुलिसकर्मी की भी मौत हो गई है।

खबरों के अनुसार 11 मई यानी शनिवार को पीओके के लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी, लेकिन एक दिन पहले ही मुजफ्फराबाद में अतिरिक्त पुलिस बल बुलाकर लोगों को हिरासत में लिया गया। पुलिस की इस कार्रवाई से लोगों का गुस्सा भड़क उठा। इनके अलावा दादियाल, मीरपुर और समाहनी, रावलकोट समेत पीओके के अन्य हिस्सों से झड़प की खबरें आईं। इलाके में धारा 144 लगा दी गई है।

आपको बता दें जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमिटी ने पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने के लिए शुक्रवार को हड़ताल बुलाई थी, इसमें ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल भी शामिल थी। कमेटी बिजली बिलों पर लगाए गए करों के विरोध और आटे के लगातार बढ़े दामों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले साल अगस्त में भी इसी तरह का आंदोलन हुआ था। कमिटी ने इस्लामाबाद सरकार पर समझौतों को पूरा न करने का आरोप लगाया है। इस बीच यह सामने आया है कि पीओके के मुख्य सचिव ने इस्लामाबाद में आंतरिक प्रभाग के सचिव को पत्र लिखकर 11 मई की हड़ताल के कारण सुरक्षा के लिए 6 नागरिक सशस्त्र बल (सीएएफ) प्लाटून की मांग की थी।

सूत्रों ने कहा कि हड़ताल की आशंका के चलते सरकार ने पूरे पीओके में धारा 144 लागू कर दी थी और 10 और 11 मई को सभी शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टियों की घोषणा की थी। हालांकि, पीओके के सभी जिलों में लोग हजारों की संख्या में सड़क पर उतर आए। मुजफ्फराबाद में हड़ताल के दौरान पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने और हवा में गोलियां चलाने का भी सहारा लेना पड़ा।

डॉन के हवाले से आज तक ने लिखा है कि जेकेजेएसी आंदोलन ने मांग है कि राज्य में बिजली की उत्पादन लागत के बाद उपभोक्ताओं को बिजली मिलनी चाहिए। पिछले साल दिसंबर में आधिकारिक सुलह समिति से ये मामला सुलझ गया था। जिसके बाद 4 फरवरी को सरकार द्वारा एक अधिसूचना भी जारी की गई थी। हालांकि, अप्रैल में समिति ने सरकार द्वारा लिखित प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने के विरोध में 11 मई को लंबे मार्च की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि समिति ने पिछले महीने घोषणा की थी कि वह राज्य भर के लोग 11 मई को मुजफ्फराबाद की ओर मार्च निकालेंगे।

निजी न्यूज चैनल आज तक की खबर के मुताबिक यह प्रदर्शन बढ़ती महंगाई, भारी टैक्स और बिजली की कमी को लेकर किया जा रहा है। बताया गया है कि जनता और सुरक्षाकर्मियों की झड़प में एक पुलिसकर्मी की मौत भी हुई है। बढ़ती महंगाई ने पाकिस्तान लोगों की कमरतोड़ दी है। बिजली दरों में बढ़ोतरी से दिक्कतें और बढ़ गई हैं और पाकिस्तान में लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। आर्थिक संकटों से जूझ रहे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 3 अरब डॉलर का कर्ज लिया है। आईएमएफ ने कर्ज की मंजूरी के साथ कई कड़ी शर्ते लगाई है जिसके कारण स्थिति और खराब हो गई है।

शुक्रवार को पाकिस्तानी बलों ने प्रदर्शन की योजना को असफल बनाने के लिए पीओके के मीरपुर जिले में 70 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। लोगों की गिरफ्तारी से लोगों में गुस्सा भड़क उठा। सड़कों पर उतरी गुस्साई भीड़ ने गिरफ्तारी के विरोध में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके और कई जगहों पर झड़प हुई। 

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