यूक्रेन का चंद्रयान पर सवाल: जी-20 के चंद दिन बाद ही यूक्रेन का भारत के चंद्रयान पर विवादित बयान, बात बढ़ी तो बताया रूसी प्रपोगेंडा

  • जेलेंस्की के सलाहकार का भारत-चीन पर विवादित बयान
  • कम बताया दोनों देशों के लोगों का बौद्धिक स्तर
  • यूकेन विदेश मंत्रालय ने किया किनारा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-14 10:19 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की अध्यक्षता में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन की समाप्ति के कुछ दिनों बाद ही यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के प्रमुख सलाहकार मायखाइलो पोडोल्याक ने एक विवादित बयान दिया है। अपने इस बयान में उन्होंने में चीन और भारत के लोगों की बौद्धिक क्षमता पर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा उन्होंने भारत के सफल चंद्रयान मिशन पर भी बेतुकी टिप्पणी की है। जिसके बाद उनके इस बयान पर अब हंगामा खड़ा हो गया है। हालांकि यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया जिसके बाद मायखाइलो भी अपने बयान से पलट गए हैं। उन्होंने रूस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

न्यूज एजेंसी स्पूतनिक को दिए इंटरव्यू में मायखाइलो पोडोल्याक ने कहा कि, 'भारत, चीन, तुर्की के साथ क्या दिक्कत है? उनके साथ समस्या यह है कि वो इस बात का विश्लेषण नहीं करते कि जो कर रहे हैं , उसका नतीजा क्या होगा। दुर्भाग्य से इन देशों की बौद्धिक क्षमता कमजोर है। हां, वे विज्ञान में निवेश करते हैं, भारत ने चंद्रयान भी लॉन्च किया है और उसका रोवर चंद्रमा की सतह पर ट्रैकिंग कर रहा है लेकिन इससे यह नहीं तय हो जाता कि ये देश पूरी तरह समझ चुके हैं कि आधुनिक दुनिया किसे कहते हैं।'

मायखाइलो के इस टिप्पणी पर अभी भारत की तरफ से तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन भारत स्थित यूक्रेन के दूतावास ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह मायखाइलो के निजी विचार हैं। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति कार्यालय ने ऐसा कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

वहीं बढ़ते विवाद के बाद माइखाइलो भी अब अपने बयान से पलट गए। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, 'क्लासिक रूसी प्रोपैगेंडा- संदर्भ से अलग बातें फैलाएं, तोड़-मरोड़ कर बयान को पेश करें और संघर्ष बढ़ाने के मकसद से टार्गेट ऑडिएंस को उकसाएं। तुर्की, भारत, चीन और दूसरी क्षेत्रीय शक्तियां आधुनिक दुनिया में वैश्विक भूमिकाओं का दावा कर रही हैं, जो उचित भी है और ऐतिहासिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक कारण भी हैं। इन देशों की भूमिकाएं रूस की तुलना में कहीं अधिक व्यापक हैं। लेकिन दुनिया क्षेत्रीय और राष्ट्रीय हितों से भी कहीं अधिक व्यापक है।'

उन्होंने आगे लिखा, 'रूस अंतरराष्ट्रीय नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा है। ऐसे समय में अपने क्षेत्रीय और आर्थिक हितों के लिए वैश्विक हालात को नजरअंदाज करना कहां की समझदारी है। जितनी जल्दी रूस की हार होगी, दुनिया उतनी जल्दी स्थिरता की तरफ बढ़ेगी। महान शक्तियों का काम इन हालात को जल्द से जल्द बदलना है।'

ड्रैगन ने दी तीखी प्रतिक्रिया

मायखाइलो पोडोल्याक के बयान पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने एक रूसी समाचार एजेंसी को दिए बयान में कहा कि, यूक्रेनी अधिकारी को अपने इस बेतुके बयान के लिए स्पष्टीकरण देना चाहिए। चीन ने हमेशा से ही यूक्रेन युद्ध को लेकर बीच का रास्ते अपनाने की सलाह दी है। चीन शांति का पक्षधर रहा है।

बता दें कि मायखाइलो का ये बयान उस समय आया है जब भारत में हुए जी-20 सम्मेलन में पेश हुए नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन में रूस का जिक्र न होने पर यूक्रेन ने आपत्ति जताई है। यूक्रेन का कहना है कि भारत ने इस डिक्लेरेशन में रूस की निंदा वाला भाग रखा है। जबकि पिछले साल बाली में हुए जी-20 सम्मेलन के घोषणापत्र में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के लिए रूस की निंदा की गई थी।

यूक्रेनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग निकोलेंको ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, 'जी20 ने अंतिम घोषणा को अपना लिया है। हम उन साझेदारों के आभारी हैं जिन्होंने घोषणापत्र में कड़े शब्दों को शामिल करने का प्रयास किया। हालांकि, यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता के मामले में जी20 के पास गर्व करने लायक कुछ भी नहीं है।' 

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