फिसलती अर्थव्यवस्था: चीन की बिगड़ती अर्थव्यवस्था के पीछे हैं ये अहम कारण, मल्टीनेशनल कंपनियों को भी झेलना पड़ेगा नुकसान
- चीनी अर्थव्यवस्था में गिरावट के पीछे कई कारण
- पिछले साल की तरह इस साल भी अर्थव्यवस्था में गिरावट
- इस साल वापस ट्रैक पर आना मुश्किल - जानकार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के बाद विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। पिछले साल 2023 में यहां की अर्थव्यवस्था में दर्ज की गई गिरावट इस साल भी जारी है। बिगड़ती अर्थव्यवस्था के चलते चीन लगातार चर्चा में बना हुआ है वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन के लिए इस साल भी वापसी कर पाना मुश्किल है। चीन की बिगड़ती अर्थव्यवस्था का दंश दूसरे देशों और मल्टीनेशनल कंपनियों को भी झेलना पड़ेगा। अर्थव्यवस्था के फिसलने के पीछे एक-दो नहीं बल्कि कई कारण हैं। इनमें विदेश निवेश में कमी, बेरोजगारी, विकास दर में कमी, कमजोर मुद्रा और प्रॉपर्टी सेक्टर का संकट सबसे अहम है।
प्रोपर्टी सेक्टर का संकट
चीनी अर्थव्यवस्था में निवेश का सीधा संबंध रियल एस्टेट से है। चीनी जनता ने अपनी कुल निवेश का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा रियल एस्टेट में निवेश कर रखा है। यहां के एक बैंक के मुताबिक, साल 2022 के अंत तक 78 करोड़ चीनी नागरिक कर्ज में डूब चुके थे और उन पर सारा कर्ज रियल एस्टेट का ही था। इसके बाद सरकार ने बिल्डर्स पर कर्ज लेने की लिमिट सेट कर दी जिसके कारण बिल्डर्स अपना अरबों डॉलर का कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं। इन बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स पूरे नहीं हो पा रहे हैं। कर्ज लौटाने के चक्कर में बिल्डर्स डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं और लोगों का किस्त चुकाने में असमर्थ। इसके अलावा चीन ने अपनी आबादी से ज्यादा गर बना लिए हैं जिसमें रहने के लिए लोग ही नहीं है।
शेयर बाजार
चीन की खराब होती अर्थव्यवस्था का एक बड़ा कारण वहां के शेयर बाजार पर निवेश को भी माना जा रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 22 करोड़ चीनी जनता ने देश के शेयर बाजार में निवेश किया था। शेयर बाजार में पिछले तीन सालों में 50 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है जबकि भारत, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में 47 प्रतिशत तक की तेजी देखने को मिली है।
बेरोजगारी
चीन में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा बेरोजगारी कॉलेज से निकलने वाले 16 से 24 एज ग्रुप के नागरिकों में देखने को मिल रही है। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स ने अब बेरोजगारी से जुड़ा आंकड़ा देना ही बंद कर दिया है। रिपोर्ट्स में चीन के बेरोजगारी दर के 40 प्रतिशत तक पहुंचने का दावा किया जा रहा है।
मल्टीनेशनल कंपनियां भी होंगी प्रभावित
चीन की बिगड़ती अर्थव्यवस्था का नकारात्मक प्रभाव दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं और मल्टीनेशनल कंपनियों पर भी पड़ेगा जिनका चीन में अच्छा बाजार है। क्योंकि चीन के लोगों ने अब सामानों की खरीद पर पैसे खर्च करना कम कर दिया है और इस वजह से चीनी बाजार में अपना रसूख रखने वाली कंपनियों और देशों को घाटा सहना पड़ेगा। मल्टीनेशनल कंपनियों के कर्मचारी भले ही चीन में काम न कर रहे हों लेकिन, उनके कंपनी के सामानों की बिक्री में आने वाली कमी उन्हें निश्चित रूप से प्रभावित करेगी।