बांग्लादेश: शेख हसीना सरकार के संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द, शीर्ष न्यायिक परिषद न्यायाधीशों को हटाने और आरोपों की जांच कर सकेगी

  • हसीना ने संविधान संशोधन कर न्यायाधीशों को हटाने का अधिकार संसद को दिया
  • बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरकानूनी करार दिया
  • भारी हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते बांग्लादेश छोड़कर भागी हसीना

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-20 13:33 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में शीर्ष न्यायिक परिषद ही जस्टिस को हटाने और उन पर लगे ज्युडिशियल आरोपों की जांच करेगी। बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायपालिका ने पूर्ववर्ती शेख हसीना सरकार के 16वें संविधान संशोधन को रद्द कर दिया है। शेख हसीना ने संविधान संशोधन कर न्यायाधीशों को हटाने का अधिकार संसद को दे दिया था। अब बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरकानूनी करार दिया है।

 मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार यह आदेश मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफत अहमद के नेतृत्व वाली 6 सदस्यीय पीठ ने पारित किया। चीफ जस्टिस कुद्दुस ने कहा अब इस फैसले से संविधान और अधिक मजबूत होगा। हसीना सरकार ने न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने का काम सर्वोच्च न्यायिक परिषद के बजाय संसद को दे दिया था।

आपक बता दें जनवरी 2014 में 16वां संविधान संशोधन पारित कर सर्वोच्च न्यायिक परिषद से न्यायाधीशों को हटाने का अधिकार छीन लिया गया था।  उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने मई 2016 में संशोधन को असंवैधानिक करार दिया था।  जिसे सरकार ने जनवरी 2017 में चुनौती दी।

जुलाई 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेंद्र कुमार सिन्हा के नेतृत्व वाली सात न्यायाधीशों की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और संविधान संशोधन को अवैध घोषित किया। इस फैसले के बाद तत्कालीन हसीना सरकार ने एक पिटीशन दायर कर सर्वोच्च न्यायालय से फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया। रविवार को शीर्ष कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए संविधान संशोधन को कैंसिल करते हुए सर्वोच्च न्यायिक परिषद को फिर से बहाल करने का आदेश दे दिया। 

आपक बता दें कि शेख हसीना स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दिए आरक्षण के भारी हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते बांग्लादेश छोड़कर भाग गई थी।  उनके जाने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में देश में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। 

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