पाकिस्तान सियासत: लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने शहबाज शरीफ, पीटीआई के उम्मीदवार उमर अयूब खान को हराया, सोमवार को लेंगे शपथ

  • शहबाज शरीफ को लगातार दूसरी बार चुना गया पीएम
  • पीएमएल-एन और पीपीपी के संयुक्त उम्मीदवार थे शहबाज
  • पीटीआई के उम्मीदवार को 108 वोटों से हराया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-03 10:25 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पीएमएल-एन और पीपीपी के संयुक्त उम्मीदवार शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री चुने गए हैं। आज हुए चुनाव में उन्होंने इमरान खान की पार्टी पीटीआई के उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया है। शहबाज ने कल प्रधानमंत्री पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। वोटिंग से पहले ही शहबाज के लगातार दूसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनने की बात कही जा रही थी। बता दें कि शहबाज लगातार दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। इससे पहले वह अप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक पाकिस्तान के पीएम रह चुके हैं। उस समय भी उन्होंने विलाबल भुट्टो की पीपीपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी।

सोमवार को लेंगे शपथ !

रविवार को पाकिस्तान की संसद में प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए वोटिंग हुई। इस दौरान शुरुआत से ही शहबाज ने अपने प्रतिद्वंदी से 100 से ज्यादा वोटों की लीड ले ली थी। चुनाव में शहबाज को जहां 201 वोट मिले, वहीं पीटीआई उम्मीदवार उमर अयूब खान को केवल 92 वोट ही मिल सके। इसके बाद शहबाज को देश के नए प्रधानमंत्री के रुप में चुन लिया गया। खबरों के मुताबिक 4 मार्च यानी सोमवार को वो पाकिस्तान के 24 वें प्रधानमंत्री के रुप में शपथ लेंगे।

राजनैतिक जीवन

शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं। साल 1950 में लाहौर में जन्मे शहबाज पहली बार 1988 में पंजाब विधानसभा पहुंचे। इसके बाद साल 1997 में पंजाब प्रांत के सीएम बने। 1999 के सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें सीएम के पद से अपदस्थ कर सऊदी अरब निर्वासित कर दिया गया था। इसके करीब 8 साल बाद वो दोबारा पाकिस्तान लौटे और 2008 में दूसरी बार पंजाब के सीएम का पद संभाला। 2013 में वो एक बार फिर लाहौर की सीट विधानसभी चुनाव जीते और विधानसभा गए। जहां वो लगातार तीसरी बार विधायक दल का नेता चुना गया।

बता दें कि पाकिस्तान में 8 फरवरी को हुए आम चुनाव में पीएमएल-एन ने 75 सीटों,  जेल में बंद इमरान खान की पार्टी के समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार 92 और पीपीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की थी। कोई भी पार्टी बहुमत के आंकड़े को पार नहीं कर पाई थी। जिसके बाद पीपीपी और पीएमएल-एन अन्य दलों के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने का फैसला किया था। 

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