पीएम मोदी का अमेरिका दौरा: 'आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा', संयुक्त राष्ट्र में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दुनिया के सुरक्षित भविष्य को लेकर रखा भारत का पक्ष
- पीएम मोदी के अमेरिका दौरे का तीसरा दिन
- यूएन की जनरल असेंबली के समिट ऑफ द फ्यूचर को किया संबोधित
- दुनिया के सुरक्षित भविष्य को लेकर रखा भारत का पक्ष
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे का आज अंतिम दिन है। उन्होंने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की जनरल असेंबली के 'समिट ऑफ द फ्यूचर' को संबोधित किया। करीब 4 मिनट लंबे अपने भाषण में पीएम ने आतंकवाद और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई मुद्दों पर भारत का पक्ष रखा।
अपने संबोधन की शुरूआत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और उसके 140 करोड़ लोगों की तरफ से आपको नमस्कार। जून में मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनाव में लोगों ने मुझे तीसरी बार सेवा का मौका दिया है और आज मैं इसी वन सीट ऑफ ह्यूमैनिटी की आवाज आप तक पहुंचाने के लिए आया हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "जब हम ग्लोबल फ्यूचर के बारे में बात कर रहे हैं, तो मानव-केंद्रित दृष्टिकोण सर्वप्रथम होनी चाहिए। सतत विकास को प्राथमिकता देते हुए, हमें मानव कल्याण, भोजन, स्वास्थ्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी होगी। हमने भारत में 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालकर दिखाया है कि सतत विकास सफल हो सकता है। हम सफलता के इस अनुभव को ग्लोबल साउथ के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं।"
'वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद गंभीर खतरा'
पीएम मोदी ने कहा, "मानवता की सफलता हमारी सामूहिक शक्ति में निहित है, युद्ध के मैदान में नहीं। वैश्विक शांति एवं विकास के लिए वैश्विक संस्थाओं में सुधार महत्वपूर्ण हैं। सुधार प्रासंगिकता की कुंजी है। एक तरफ वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद जैसा बड़ा खतरा है, वहीं दूसरी तरफ साइबर, मैरिटाइम, स्पेस जैसे संघर्ष के नए मैदान बन रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर वैश्विक कार्रवाई वैश्विक महत्वाकांक्षा से मेल खानी चाहिए।"
'वन अर्थ', 'वन फैमिली' और 'वन फ्यूचर' भारत की प्रतिबद्धता
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "भारत के लिए 'वन अर्थ', 'वन फैमिली' और 'वन फ्यूचर' एक प्रतिबद्धता है। यही प्रतिबद्धता हमारे 'वन अर्थ', 'वन हेल्थ' और 'वन सन', 'वन वर्ल्ड', 'वन ग्रिड' जैसे पहल में भी देखाई देता है।" उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के लिए संतुलित विनियमन की आवश्यकता है। हमें ऐसे वैश्विक डिजिटल शासन की आवश्यकता है जिसमें राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता अक्षुण्य रहे। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर एक पुल होनी चाहिए न कि बाधा।"