अब BRICS पर आमने-सामने चीन और भारत, चीन की डिमांड पर भारत ने साफ किया रुख!
BRICS पर आमने-सामने चीन और भारत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया में तेजी से उभरते हुए संगठन BRICS का चीन विस्तार करने की कोशिश में लगा है। लेकिन भारत और ब्राजील ने चीन की इस विस्तार नीति का विरोध किया है। चीन चाहता है कि इस संगठन में इंडोनेशिया और सऊदी अरब को भी शामिल किया जाए। इसके लिए चीन कई बार इस बात की लॉबिंग करते हुए नजर आ चुका है। दुनियाभर में करीब एक दर्जन ऐसे देश हैं, जो इस संगठन में शामिल होने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
भारत ने अपना स्टैंड किया क्लियर
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश BRICS संगठन के लिए लंबे समय से वैश्विक मंच साझा करते आ रहे हैं। अब चीन इस संगठन के विस्तार पर बल दे रहा है। चीन की मंशा है कि वह अमेरिका और यूरोप के बड़े संगठन के मुकाबले में ब्रिक्स को ला खड़ा करे। हालांकि, ब्राजील इस विस्तार नीति के खिलाफ नजर आ रहा है। वहीं, भारत ने अपना स्टैंड क्लियर करते हुए कहा है कि ब्रिक्स में एंट्री को लेकर कुछ नियम बनाए जाने की जरुरत है ताकि जो देश संगठन का हिस्सा बनना चाहते हैं, वह औपचारिक रूप से शामिल हों। भारत की सलाह NATO जैसे नियम की है। अगर नियम नाटो के जैसे बनाए जाते हैं तो ब्रिक्स में किसी देश को शामिल करने से पहले संगठन के सदस्यों से मंजूरी लेनी होगी। बता दें कि 22 से 24 अगस्त तक ब्रिक्स की मीटिंग होने वाली है। इस बैठक में नए सदस्यों की एंट्री को लेकर भी चर्चा होगी, ताकि जल्द से जल्द नए देशों को भी इस संगठन का एंट्री कार्ड दिया जा सके।
चीन की रणनीति
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, दो सदस्यों ने बताया कि साउथ अफ्रीका चाहता है कि सदस्यता को लेकर अलग-अलग पैमाने होने चाहिए। हालांकि, साउथ अफ्रीका चीन की बात पर सहमत है। वहीं, इस मामले में भारत और ब्राजील का कहना है कि जो देश संगठन में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें पर्यवेक्षक के तौर पर रखा जाना चाहिए। वहीं, इस पर चीन का मत अलग है। चीन विदेश मंत्रालय का कहना है कि बीते साल ब्रिक्स लीडर्स ने इस बात पर चर्चा की थी। ब्रिक्स में शामिल सभी सदस्यों की सहमति के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
बता दें कि, चीन ब्रिक्स में अन्य देशों को इसलिए भी शामिल करने में लगा हुआ है ताकि वह अपने व्यापार का विस्तार अन्य देशों के साथ भी कर सके। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने चीन पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं। अब वह अपने नए बाजार की तलाश में जुटा है। ऐसे में चीन ब्रिक्स के जरिए अपने नए व्यापारिक ठिकाने को तलाशने में जुटा है।
ब्रिक्स संगठन का पूरी दुनिया पर प्रभाव
बीते कुछ सालों में ब्रिक्स पूरी दुनिया में तेजी से एक मजबूत संगठन बन कर उभरा है। इस संगठन ने अपना एक बैंक भी स्थापित किया है। जिसके तहत ब्रिक्स में शामिल सदस्य एक कॉमन करेंसी के जरिए व्यापार करने की योजना बना रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो डॉलर कमजोर होने के आसार है। क्योंकि, इस सगठन में एशिया की तीन बड़ी महाशक्ति (रूस, भारत और चीन) शामिल हैं। साथ ही, दुनिया की 42 फीसदी आबादी भी ब्रिक्स में शामिल देशों के पास हैं। इसके अलावा ब्रिक्स में शामिल देश दुनिया की 23 फीसदी जीडीपी में भी हिस्सेदारी रखता है। यह संगठन मुख्य रूप से व्यापार के लिए बनाया गया था। इसके अलावा इस संगठन को बनाने के पीछे अमेरिका और यूरोपीय देशों की शक्ति के दबदबा को भी कम करना है।
ब्रिक्स सम्मलेन ऐसे वक्त में हो रहा है जब चीन और अमेरिका के बीच तनाव अपनी चरम पर है। इधर, दक्षिण अफ्रीका की ओर से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को समिट में हिस्सा लेने से मना किया है। माना जा रहा है कि पुतिन वर्चुअल मोड से इस समिट में हिस्सा लेंगे। इसके पीछे की वजह यह है कि उन्हें इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट द्वारा अरेस्ट किया जा सकता है। हालांकि, इसके आसार भी बेहद कम है।