रिपोर्ट: Facebook, Google सहित बड़ी टेक कंपनियों के जॉब में युवाओं की रुचि कम हुई
रिपोर्ट: Facebook, Google सहित बड़ी टेक कंपनियों के जॉब में युवाओं की रुचि कम हुई
- अब कॉलेज ग्रेजुएट भारी वेतन सेवा-शर्तों को महत्व नहीं देते
- सामाजिक सरोकार को वरीयता
- टेक कंपनियों पर लोगों का भरोसा 21% कम हुआ
- स्टैनफोर्ड
- येल
- बर्कले
- ब्राउन
- यूनिवर्सिटी के छात्र गलत प्रक्रियाओं का विरोध करने लगे हैं
डिजिटल डेस्क, न्यूयार्क। 2006 में Google (गूगल) ने एक अरब डॉलर में यूट्यूब को खरीदा। Apple (एपल) पहला iPhone (आईफोन) बाजार में लाने की तैयारी कर रही थी। अमेरिका में रियल एस्टेट सेक्टर का उफान उतार पर था। ऐसे दौर में कॉलेजों से निकलने वाले प्रतिभाशाली युवाओं की कॅरिअर और जॉब के लिए पहली पसंद टेक्नोलॉजी कंपनियां थीं। लेकिन, 13 साल बाद स्थिति बदल रही है। कॉलेज ग्रेजुएट चाहते हैं कि अच्छा वेतन मिले। पर वे कुछ सिद्धांतों, मूल्यों का भी ध्यान रखने लगे हैं। गूगल, फेसबुक और बड़ी टेक कंपनियों के बारे में सकारात्मक धारणा ढह रही है।
कई छात्र अब भी टेक कंपनियों में नौकरी को संपन्नता की गारंटी मानते हैं। वहीं ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ी है जो सिलिकॉन वैली के कॅरिअर की तुलना में नैतिक मूल्यों को वरीयता देते हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी के सीनियर छात्र 21 वर्षीय चांद राजेंद्र- निकोलसी कहते हैं, पहले Google और Facebook आदर्श कार्यस्थल थे। सामाजिक जिम्मेदारी के साथ बहुत पैसा भी मिलता था।
जॉब स्वीकार करने की दर 40% घटी
अब इन नौकरियों के नैतिक स्तर को लेकर बहुत हिचक है। लोग जैसे वॉल स्ट्रीट (शेयर मार्केट, फाइनेंस कंपनियां) को देखते हैं, यह कुछ वैसा ही है। फेसबुक के लिए विशेषज्ञों और अन्य कामगारों की भर्ती करने वाली पूर्व कंपनियों ने टीवी चैनल CNBC को पिछले साल बताया था कि कंपनी में फुल टाइम इंजीनियरिंग जॉब स्वीकार करने की दर 40% घटी है। वैसे, फेसबुक ने इस आंकड़े का गलत बताया था।
2015 के 71% से घटकर 2019 में 50%
2019 में प्यू रिसर्च सेंटर सर्वे के अनुसार टेक्नोलॉजी कंपनियों के समाज पर सकारात्मक असर में विश्वास रखने वाले अमेरिकियों की संख्या में गिरावट आई है। यह भरोसा 2015 के 71% से घटकर 2019 में 50% पर आ गया। इस वर्ष फिल्मों के गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड समारोह में ब्रिटिश एक्टर सचा बेरन कोहेन ने फेसबुक के प्रमुख मार्क जकरबर्ग की तुलना कॉमेडी फिल्म जोजो रैबिट के मुख्य पात्र से की थी। यह पात्र नाजी प्रोपेगंडा का प्रचार करता है। उसके केवल काल्पनिक मित्र हैं। कई यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट और अंडर ग्रेजुएट छात्र टेक कंपनियों के संबंध में ऐसी ही राय रखते हैं।
फेसबुक पर यूजर डेटा का गलत इस्तेमाल
Facebook पर यूजर डेटा के गलत इस्तेमाल के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना लग चुका है। अमेजन को न्यूयॉर्क में अपना दूसरा मुख्यालय बनाने के लिए 21 हजार करोड़ रुपए की टैक्स रियायतें देने का जमकर विरोध हुआ था। इसके बाद कंपनी ने मुख्यालय बनाने का इरादा छोड़ दिया। 2018 में Google को चीन में सेंसर्ड सर्च एंजिन लगाने की योजना पर कर्मचारियों का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था।
दिलचस्पी प्रमुख टेक्नोलॉजी कंपनी में नहीं
अपने कंप्यूटर साइंस प्रोग्राम के लिए मशहूर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों का कहना है कि उनकी दिलचस्पी किसी प्रमुख टेक्नोलॉजी कंपनी में नहीं है। कुछ छात्रों का कहना है, वे इनमें अंदर से परिवर्तन चाहते हैं। सिलिकॉन वैली में नौकरियों के लिए जिन विश्वविद्यालयों, कॉलेजों से सबसे ज्यादा ग्रेजुएट जाते हैं, उनमें स्टैनफोर्ड दूसरे नंबर पर है। यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस जॉब फेयर में विज्ञापन के लिए कई कंपनियां 12 हजार डॉलर तक देती हैं।
स्टैनफोर्ड के छात्रों के आक्रोश का शिकार
सॉफ्टवेयर कंपनी पलानटिर को अमेरिकी इमिग्रेशन कस्टम (ICE) को अपनी सेवाएं देने पर स्टैनफोर्ड के छात्रों के आक्रोश का शिकार होना पड़ा था। छात्रों के एक्टिविस्ट ग्रुप-स्टूडेंट फॉर द लिबरेशन ऑफ आल पीपुल ने कंपनी के दफ्तर के पास सड़क पर एक बैनर टांगा था। इस पर लिखा था, हमारा सॉफ्टवेयर इतना शक्तिशाली है कि वह परिवारों को अलग कर देता है।
ध्यान रहे, इमिग्रेशन और कस्टम विभाग दूसरे देशों से बिना अनुमति अमेरिका में आकर बसे लोगों और उनके बच्चों को अलग कर देता है। ऐसा ही विरोध कैलिफोर्निया, बर्कले, ब्राउन और येल यूनिवर्सिटी में भी हुआ है। कई ग्रेजुएट बड़ी कंपनियों की बजाय सामाजिक रूप से प्रभावशाली छोटे समूहों में काम कर रहे हैं।