थल, वायुसेना और नौसेना तीनों सेनाओं को शक्तिशाली हथियारों से लैस करना दुनिया के लिए चिंताजनक

चीन थल, वायुसेना और नौसेना तीनों सेनाओं को शक्तिशाली हथियारों से लैस करना दुनिया के लिए चिंताजनक

Bhaskar Hindi
Update: 2021-11-15 12:14 GMT
थल, वायुसेना और नौसेना तीनों सेनाओं को शक्तिशाली हथियारों से लैस करना दुनिया के लिए चिंताजनक
हाईलाइट
  • बढ़ती चीन की पॉवर से अमेरिका चिंतित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीनी सेना ऐसी नई मिसाइलों का विकास कर रही है जो एक साथ कई परमाणु बम ले जा सकेंगी। यही नहीं इन मिसाइलों को छिपाने के लिए चीन सैकड़ों मिसाइल बना रहा है। साल 2020 में चीन ने अकेले 250 मिसाइलों का परीक्षण किया है। यह पूरी दुनिया में किए गए कुल मिसाइल टेस्‍ट से ज्‍यादा है। चीन के पास इस समय अंतर‍िक्ष में 200 निगरानी रेडार हैं जो धरती का चप्‍पा-चप्‍पा छान मार रहे हैं। दो साल पहले इनकी संख्‍या 120 ही थी। चीन अब ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है जिससे वह अमेरिकी या भारतीय मिसाइलों के पहुंचने से पहले ही जवाबी हमला कर देगा

यही नहीं अमे‍रिका और भारत से मुकाबले के लिए चीन की मंशा साल 2030 तक 1 हजार परमाणु बम बनाने की है। ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के महाविनाशक हथियारों को बनाने से दुनिया में अब तक सबसे बड़ा भूराजनीतिक ताकत में बदलाव होने जा रहा है। चीन के शक्ति संतुलन में इस बदलाव से अमेरिका की चिंताएं काफी बढ़ गई हैं। चीन के पास अभी 300 के करीब परमाणु बम है और वह इसे साल 2030 तक 1 हजार करना चाहता है।

दुनिया पर राज करने के लिए चीनी ड्रैगन ने कमर कस ली है। दुनियाभर में अपनी बादशाहत कायम करने के लिए चीन अपनी थल सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों को ही महाविनाशक हथियारों से लैस करना शुरू कर दिया है। चीन दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने अंतरिक्ष से हाइपरसोनिक मिसाइल दागने का परीक्षण किया है। अब एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2020 में चीन ने 250 मिसाइलों का परीक्षण किया है। यह पूरी दुनिया में किए गए कुल मिसाइल परीक्षणों से ज्‍यादा है।

चीन ने लड़ाकू विमान बॉम्‍बर, सबमरीन, युद्धपोत को बनाकर पूरी दुनिया को अंचभित कर दिया है। चीन की नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी हो गई है। इन सबके बीच हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण और 1 हजार परमाणु बम की वजह से चीन की परमाणु हथियारों को लेकर रणनीति में आया नाटकीय बदलाव चिंता का विषय बन गया है। अब अमेरिका के सामने दो गंभीर सवाल उठ रहे हैं। चीन का बढ़ता आक्रामक रुख क्‍या पूर्वी एशिया में शक्ति संतुलन में बदलाव लाएगा ?

दूसरा सवाल यह है कि क्‍या इससे चीन अमेरिकी परमाणु बमों से होने वाले खतरे को बेअसर करके ताइवान के ऊपर जीत हासिल कर सकता है? इससे पहले अमेरिका के शीर्ष सैन्‍य अधिकारी जनरल मार्क मिली ने चीन के अंतर‍िक्ष से मिसाइल परीक्षण को "स्‍पुतनिक मौका" करार दिया था। उनका इशारा सोवियत संघ के पहली बार साल 1957 में अंतरिक्ष में उपग्रह लॉन्‍च करने की ओर था। मार्क मिली ने फाइनेंशियल टाइम्‍स के साथ ताजा बातचीत में कहा, "हम भूरणनीतिक शक्ति के क्षेत्र में दुनिया में अब तक सबसे बड़ा बदलाव देख रहे हैं।"

 

 

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