Make China Pay: चीन को सबक सिखाने के लिए साथ आए ये देश, जानिए ड्रैगन के खिलाफ उठाए गए पांच कदम

Make China Pay: चीन को सबक सिखाने के लिए साथ आए ये देश, जानिए ड्रैगन के खिलाफ उठाए गए पांच कदम

Bhaskar Hindi
Update: 2020-05-16 06:48 GMT
Make China Pay: चीन को सबक सिखाने के लिए साथ आए ये देश, जानिए ड्रैगन के खिलाफ उठाए गए पांच कदम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन के वुहान शहर से फैले कोरोनावायरस से दुनियाभर में 46 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 3 लाख 8 हजार के करीब लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं। ऐसे में दुनिया के कई देश चीन को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं और उसे सबक सिखाने के लिए हाथ मिला रहे हैं। ये देश सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि चीन को उसके बुरे कामों की सजा मिले। कौन-कौन से देश चीन के खिलाफ क्या कदम उठा रहे हैं आइए जानते हैं: 

पहला कदम:
कोरोनोवायरस प्रकोप की उत्पत्ति और इसके फैलने के कारण के पीछे की जांच की मांग करने वाला ऑस्ट्रेलिया पहला देश था, लेकिन उसके पड़ोसी न्यूजीलैंड ने भी अब इसका समर्थन किया है। उधर अमेरिका की खुफिया एजेंसी खुद इस मामले की जांच  कर रही है। यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने भी कोरोनावायरस की उत्तपत्ति की स्वतंत्र जांच का समर्थन किया है। यूरोपियन यूनियन के फॉरेन पॉलिसी चीफ अगले हफ्ते होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में इस मुद्दे को उठाएंगे।

दूसरा कदम:
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की मीटिंग में ताइवान की WHO में एंट्री को लेकर वोटिंग होना है। कनाडा, जापान, फ्रांस, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यहां तक ​​कि स्वाज़ीलैंड और निकारागुआ जैसे देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन में ताइवान की सदस्यता के लिए समर्थन का वादा किया है। हालांकि चीन समर्थन की इन आवाजों को दबाने की कोशिश कर रहा है और इन देशों को धमकी दे रहा है। दरअसल चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और वह नहीं चाहता कि ताइवान की WHO में एंट्री हो। जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है।  

तीसरा कदम:
संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान ने आर्थिक रूप से चीन से दूरी बनाना शुरू कर दिया है। जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी कंपनियों को चीन छोड़ने का आदेश दिया है वहीं जापान ने भी ऐसा कदम उठाया है। जापान ने अपनी कंपनियों को चीन से दूर करने के लिए 2.2 बिलियन डॉलर का कोष स्थापित किया है। यूरोपियन यूनियन के देश, ऑस्ट्रेलिया और यहां तक ​​कि भारत जैसे देशों ने अपने फॉरने इन्वेस्टमेंट रूल को कड़ा कर दिया है। ताकि कोरोनावायस के चलते धराशाई हुए बाजार में चीन इन कंपनियों का अधिग्रहण ना कर सकें।

चौथा कदम:
चीन पर मानवाधिकारों के हनन और उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं। अमेरिकी सीनेट ने चीन में उइगर मुसलमानों के दमन के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। दोनों तरफ के सांसदों ने इस प्रस्ताव को अपना समर्थन दिया है। प्रस्ताव में उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है जो उइगर मुसमलानों पर होने वाले अत्याचार के लिए जिम्मेदार हैं। इससे पहले अमेरिकी संसद में चीन के खिलाफ.आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाला बिल पेश हो चुका है। उधर, चीन में रह रहें अफ्रीकी देश के लोगों के साथ नस्लवादी व्यवहार करने पर मानवाधिकार आयोग ने चीन को फटकार लगाई है। चीन ने कोरोनावायरस संकट के बीच अफ्रीकी नागरिकों को उनके होटलों और रिहाइशी इलाकों से बाहर कर दिया गया था।

पांचवां कदम: 
कई देश चाइनीज टेक्नोलॉजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं जिसमें सबसे कॉमन टारगेट हुवावे हैं। अमेरिका ने पहले ही हुवावे पर लगाए बैन को एक साल के लिए बढ़ा दिया है वहीं वह अनय सहयोगियों को भी ऐसा करने के लिए जोर दे रहा है। अमेरिका ने हुवावे पर बैन लगाने के पीछे दलील दी थी कि उसके उपकरणों से सुरक्षा को खतरा है। यूएस का मानना है कि हुवावे के फाउंडर रेन झेंगफे की चीन की सरकार से नजदीकियां हैं। अमेरिका हुवावे के उपकरणों से जासूसी का खतरा भी बता चुका है। हालांकि, कंपनी इस तरह की आशंकाओं से इनकार करती रही है।

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