ब्रिटेन: पीएम थेरेसा मे ने की इस्तीफे की घोषणा, 7 जून को छोड़ेंगी पद
ब्रिटेन: पीएम थेरेसा मे ने की इस्तीफे की घोषणा, 7 जून को छोड़ेंगी पद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने ब्रिटिश संसद में ब्रेक्जिट मुद्दे पर बार-बार हार का सामना करने के बाद इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। शुक्रवार को एक भावुक संबोधन में उन्होंने कहा कि वह सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के पद से सात जून को इस्तीफा दे देंगी। हालांकि उत्तराधिकारी चुने जाने तक थेरेसा मे प्रधानमंत्री पद पद पर बनी रहेंगी।
PM @Theresa_May makes a statement in Downing Street https://t.co/eg4ElQMXVR
— UK Prime Minister (@10DowningStreet) May 24, 2019
शुक्रवार को डाउनिंग स्ट्रीट स्थित अपने आधिकारिक आवास के बाहर प्रधानमंत्री थेरेसा मे अपने में भावुक होकर कहा, यह मेरे लिए बेहद दुःख का मुद्दा है और हमेशा दुःख का मुद्दा रहेगा कि मैं ब्रेक्ज़िट डिलीवर नहीं कर पाई। थेरेसा मे ने कहा, मैं 7 जून को कंज़र्वेटिव और यूनियनिस्ट पार्टी की नेता के पद से इस्तीफा दे दूंगी। नया नेतृत्व चुने जाने की प्रक्रिया संभवतः उससे अगले सप्ताह शुरू हो जाएगी। माना जा रहा है कि अगला नेता चुने जाने में कई सप्ताह लग सकते हैं।
"पीएम के रूप में काम करना मेरे लिए गर्व की बात"
थेरेसा ने कहा, उन्होंने 2016 में हुए जनमत संग्रह के परिणाम का सम्मान करने के लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश की। ब्रेक्ज़िट सौदे के लिए समर्थन जुटाने के लिए पूरी कोशिश की है मगर यह देश के हित में होगा कि अब नया प्रधानमंत्री प्रयासों को जारी रखे। यह घोषणा करते समय थेरेसा मे भावुक हो गईं और रोने लगीं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के तौर पर काम करना उनके "जीवन की सबसे गर्व भरी बात" है।
2016 में हुई थी ब्रेक्ज़िट डील
इसी साल मार्च में ब्रिटेन की संसद ने प्रधानमंत्री थेरेसा मे के ब्रेग्जिट करार को दूसरी बार खारिज कर दिया था। ब्रिटिश संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ ने 242 के मुकाबले 391 वोटों से इस डील को खारिज किया था। इससे पहले थेरेसा मे ने अपनी कन्जर्वेटिव पार्टी के सांसदों से अपील की थी कि वे अपनी "निजी प्राथमिकताओं" को दरकिनार कर इस समझौते पर एकजुट हों। गौरतलब है कि, 23 जून 2016 को यूके में एक जनमत संग्रह हुआ था। यह इस बात से जुड़ा था कि इसे यूरोपीय संघ का हिस्सा रहना चाहिए या फिर छोड़ देना चाहिए। जनमत संग्रह में 52 प्रतिशत लोगों ने वोट किया और कहा कि यूके को यूरोपीय संघ से बाहर आ जाना चाहिए। 48 प्रतिशत लोगों ने इसमें बने रहने के पक्ष में वोट किया था।