तालिबान के फरमान ने एक बार फिर स्कूल पहुंची लड़कियों की खुशी और उत्साह को आंसूओं में बदला

अफगानिस्तान तालिबान के फरमान ने एक बार फिर स्कूल पहुंची लड़कियों की खुशी और उत्साह को आंसूओं में बदला

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-24 10:35 GMT
तालिबान के फरमान ने एक बार फिर स्कूल पहुंची लड़कियों की खुशी और उत्साह को आंसूओं में बदला
हाईलाइट
  • सखियों से मिलने का मौका

डिजिटल डेस्क,काबुल।  अफगानिस्तान में तालिबान कब्जे के एक साल बाद एक बार फिर लड़कियों के चेहरे पर मुस्कान देखने को मिली। पिछले साल के अगस्त माह में तालिबान कब्जे के बाद अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए सभी शिक्षण संस्थाओं को बंद कर दिया था। आज गुरूवार सुबह से ही  जब लड़कियां स्कूल पहुंची तो उनके चेहरे पर एक अनोखी मुस्कान थी,  उनकी इस प्रसन्नता के पीछे की वजह को लेकर छात्राओं का कहना था कि एख बार फिर अफगान महिलाओं के पढ़ने लिखने और अपनी सखियों से मिलने का मौका मिला, उनकी उम्मीद जागी कि एक बार फिर वो अपने सपने को साकार कर सकेगी। खुश होकर  काबुल के वेस्टर्न स्कूल में पहुंची लड़कियों  के चेहरे पर उस वक्त अचानक मायूसी छा गई जब उन्होंने आतंक के साये में  टेबल पर जमी धूल को हटाया तो  टीचरों की कानाफूसी शुरू हो गई। इस फुसफुसाहट से लड़कियों के चेहरे उतर गए। 

आपको बता दें अच्छे से पढ़ाई स्टार्ट भी नहीं हो पाई की स्कूल अध्यापिका ने उन्हें तालिबान का फरमान सुना दिया।  तालिबान के इस फरमान में  अगले आदेश तक फिर से स्कूल बंद रखने का हुक्म था। ये सब सुनते ही लड़कियों की आंखों से एक बार फिर आंसू टपकने लगे।  फातिमा ने बीबीसी को बताया कि हम  पढ़कर अपने लोगों की सेवा करना चाहते है। फातिमा ने हालातों को लेकर अपने देश को भी कोसा। 

लड़िकियों ने बीबीसी से बातचीत में बताया कि परिवार वालों कि चिंता के साथ  एक खुशी सुबह की आई थी, मरजिया नाम की छात्रा ने बीबीसी को बतााया कि एक तरफ परिजनों को सुरक्षा की चिंता सता रही थी वहीं हम बैग पैक करके स्कूल पहुंचने की खुशी थी, भविष्य को बेहतर करने के सपने संजोए ही थे, जिन पर कुछ समय बाद ही पानी फिर गया। 
छात्राओं के चेहरे पर  कुछ वक्त के लिए आई  खुशी उत्साह  की झलक को साफ तौर पर देखा जा सकता था। लेकिन तालिबान के आदेश से उत्साहित चेहरों पर फिर से डर छा गया। क्योंकि पिछले साल करीब 90  स्कूली छात्राओं और स्टाफ को आतंकियों ने हत्या  कर दी।  बीबीसी से रोती हुई सकीना कहती है कि वो पहला आत्मघाती  हमला था  जो मेरे  अत्यधिक नजदीक हुआ था। उस हमले में कई लोगों की मौत हो गई थी लेकिन मैं बच गई थी। वो पल याद करते हुए मैं आज  भी सहम जाती है। हमलावरों के विरोध में वौ कहती है कि उनसे हमारा बदला यहीं रहेगा  कि हम पढ़ाई जारी रखेंगे और अपने सपनों के साथ शहीदों के सपनों को साकार करेंगे। कुछ छात्राओं ने तालिबान को कोसते हुए सवाल किया कि क्या इस्लाम महिलाओं को शिक्षा से वंचित करता है, जबिक तालिबान इस्लाम की बातें करता है। 

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