तालिबान और पंजशीर घाटी के लड़ाके एक दूसरे पर हमला नहीं करने पर सहमत
अफगानिस्तान तालिबान और पंजशीर घाटी के लड़ाके एक दूसरे पर हमला नहीं करने पर सहमत
- तालिबान और पंजशीर घाटी के लड़ाके एक दूसरे पर हमला नहीं करने पर सहमत
डिजिटल डेस्क, काबुल। तालिबान और नॉर्दन अलायंस ने गुरुवार को एक बड़े घटनाक्रम में एक-दूसरे पर हमला नहीं करने पर सहमति जताई है।
तालिबान और नॉर्दन अलायंस के दो प्रतिनिधिमंडलों के बीच अफगानिस्तान के परवान प्रांत के चरिकर में पिछले दो दिनों से बैठकें हो रही हैं। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ हमले रोकने पर सहमत हो गए हैं।
सूत्रों ने कहा कि तालिबान और नॉर्दन अलायंस के नेताओं द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान शांति समझौते की घोषणा की जाएगी।
तालिबान ने इस महीने 15 अगस्त को लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, मगर इस बीच नॉर्दन अलायंस तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध की सबसे बड़ी आवाज बनकर उभरा है। अफगानिस्तान के अधिग्रहण के बाद, तालिबान अभी भी पंजशीर घाटी पर अपना नियंत्रण स्थापित नहीं कर सका है, जहां नॉर्दन अलायंस का प्रभुत्व कायम है।
तालिबान विरोधी लड़ाकों और पूर्व अफगान सुरक्षा बलों के समूह ने विरोधी रवैया अपनाया हुआ है और उन्होंने कसम खाई है कि वह पंजशीर घाटी पर तालिबान का कब्जा नहीं होने देंगे। तालिबान ने इस क्षेत्र को घेरने के लिए लड़ाकों को भेजा था, मगर उन्हें सफलता हासिल नहीं हो सकी है।
दोनों पक्षों ने कहा है कि वे अतीत में बातचीत के माध्यम से गतिरोध को हल करना चाहते हैं।
पंजशीर हिंदू कुश पहाड़ों में एक गहरी संकरी घाटी है, जिसका दक्षिणी सिरा राजधानी काबुल से लगभग 80 किमी उत्तर में है।
घाटी में सीमित प्रवेश बिंदु हैं और इसका भूगोल एक प्राकृतिक सैन्य लाभ प्रदान करता है, बचाव करने वाली यूनिट्स हमलावर बलों को प्रभावी ढंग से लक्षित करने के लिए ऊंचे स्थानों का उपयोग कर सकती हैं।
एक सदी से अधिक समय से आक्रमणकारियों के कब्जे का विरोध करने वाले क्षेत्र के रूप में अफगानिस्तान में इसका अत्यधिक प्रतीकात्मक मूल्य है।
घाटी से प्रतिरोध, मुख्य रूप से जातीय ताजिक लोगों द्वारा देखा गया है और 1980 तथा 1990 के दशक के दौरान अफगानिस्तान के राजनीतिक और सुरक्षा परि²श्य को भारी रूप से आकार दिया है।
तालिबान ने घेराबंदी करने और आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करने के एक स्पष्ट प्रयास में, पंजशीर के आसपास के इलाकों में सैकड़ों लड़ाकों को भेजा है।
तनाव बढ़ने के बावजूद तालिबान के प्रवक्ताओं ने कहा है कि वे शांति से स्थिति का समाधान करना पसंद करेंगे।
एनआरएफ (नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट) ने कहा था कि वह एक समावेशी सरकार पर तालिबान के साथ बातचीत के लिए तैयार है और पंजशीर घाटी के बुजुर्गों ने तालिबान अधिकारियों के साथ कथित तौर पर बात की है।
इससे पहले तालिबान ने कहा था कि पंजशीर के आसपास के कम से कम तीन क्षेत्रों पर उनका नियंत्रण है और पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने ट्वीट किया है कि एक मानवीय संकट विकसित हो रहा है, क्योंकि खाद्य और ईंधन की आपूर्ति बंद कर दी गई है।
हालांकि एनआरएफ ने किसी भी हमले का विरोध करने की कसम खाई है, मगर यह स्पष्ट नहीं है कि उनके पास लंबे समय तक घेराबंदी का सामना करने के लिए भोजन, आपूर्ति और गोला-बारूद है या नहीं।
(आईएएनएस)