Corona Vaccine: फाइजर का दावा- कोरोना वैक्सीन 95 फीसदी प्रभावी, हाई-रिस्क आबादी के लिए जल्द मिल सकता है अप्रूवल
Corona Vaccine: फाइजर का दावा- कोरोना वैक्सीन 95 फीसदी प्रभावी, हाई-रिस्क आबादी के लिए जल्द मिल सकता है अप्रूवल
- कोरोना वैक्सीन तीसरे फेज के ट्रायल में 95 फीसदी तक प्रभावी पाई गई
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिका की फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की जॉइंट कोरोना वैक्सीन तीसरे फेज के ट्रायल में 95 फीसदी तक प्रभावी पाई गई है। कंपनी का दावा है कि वैक्सीन उम्रदराज लोगों पर भी कारगर रही। कंपनी का कहना है कि इस कामयाबी के साथ ही वह यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) की तरफ से इमरजेंसी अप्रूवल हासिल कर सकती है।
फाइजर का फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल 27 जुलाई को शुरू हुआ था। इसमें 43,661 लोग शामिल थे। ट्रायल में सफलता मिलने के बाद अब यह वैक्सीन नवंबर के तीसरे हफ्ते में इमरजेंसी अप्रूवल के लिए वह FDA के पास जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन को हाई-रिस्क आबादी के लिए इस साल के आखिर तक अप्रूवल दिया जा सकता है। हालांकि यह तभी होगा जब सब कुछ प्लानिंग के हिसाब से चले। फाइजर और बायोएनटेक का कहना है कि वे हर साल 1.3 अरब डोज बना सकते हैं, लेकिन यह दुनियाभर की जरूरत से कम है।
इससे पहले फाइजर ने वैक्सीन को 90 फीसदी प्रभावी बताते हुए कहा था यह विज्ञान और मानवता के लिए बड़ा दिन है। तीसरे चरण के ट्रायल के परिणामों के पहले सेट से यह स्पष्ट होने लगा है कि कोरोना वायरस से लड़ने में हमारी वैक्सीन कारगर है। हम वैक्सीन तलाशने में नया आयाम स्थापित कर रहे हैं। यह समय ऐसा है जब कोरोना वायरस वैक्सीन की जरूरत पूरे विश्व को है। फाइजर और बायोनटेक पहली ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने वैक्सीन के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल और सफल परिणाम का आंकड़ा पेश किया है। कंपनियों ने कहा कि उन्हें अब तक कोई गंभीर सुरक्षा चिंता दिखाई नहीं दी है।
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाती है और इम्यून सिस्टम के एक और हिस्से टी-सेल का निर्माण करती है। प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, दूसरी खुराक के सात दिन बाद और पहली खुराक के 28 दिनों के बाद रोगियों में वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है। हालांकि अभी इस बात को लेकर सवाल हैं कि प्रतिरोधक क्षमता का असर कब तक रहेगा और अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों पर इसका असर क्या होगा? कंपनी ने इस बारे में अभी जानकारी नहीं दी है। समय बचाने के लिए, कंपनियों ने वैक्सीन प्रभावी होगी या नहीं यह पता चलने से पहले ही वैक्सीन का निर्माण शुरू कर दिया है।