पीएम इमरान खान ने विपक्ष की साख पर सवाल उठाया
पाकिस्तान पीएम इमरान खान ने विपक्ष की साख पर सवाल उठाया
- पीपीपी के नेता शाहिद मसूद ने खुलासा किया कि पीपीपी का लंबा मार्च इस्लामाबाद में दस्तक देगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने वेहारी जिले की मेलसी तहसील में एक जन समन्वय अभियान में अपने खिलाफ नियोजित अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की साख पर सवाल उठाया।
कुछ नेताओं का मानना है कि इमरान सैन्य प्रतिष्ठान के समर्थन से सत्ता में बने रहने के प्रति बहुत आश्वस्त हैं, जबकि दूसरों का दावा है कि पीएम हताश हैं और अविश्वास प्रस्ताव के कारण घबराहट की स्थिति में हैं।
विपक्षी दलों का गठबंधन, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) इस समय इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। दावा किया गया है कि अविश्वास प्रस्ताव को संसद में पर्याप्त सांसदों का समर्थन मिलेगा।
दूसरी ओर, इमरान खान ने पीडीएम को संसद में प्रस्ताव पेश करने की चुनौती देते हुए कहा कि इसमें विफल रहने के बाद विपक्ष को इसका नतीजा भुगतना होगा।
अपने भाषण के दौरान उन्होंने मौलाना फजलुर रहमान को फजलू डीजल के रूप में संबोधित करने के साथ-साथ आसिफ अली जरदारी को 10 प्रतिशत और सिनेमा टिकट ब्लैकर, नवाज शरीफ को भगोड़ा व अपराधी और शहबाज शरीफ को संबोधित करते समय बेहद अपमानजनक शब्द जनरलों का बूट पॉलिशर का इस्तेमाल किया।
पीडीएम ने जवाब में मुख्य रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से इमरान खान को बेचैन, क्षुद्र और राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बताकर उनका मजाक उड़ाया।
इस बीच, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने इमरान खान के खिलाफ युद्ध की घोषणा की है। वह इन दिनों एक जुलूस मुहिम चला रहे हैं, जो इस समय पंजाब को पार कर रहा है। उनकी मांग है इमरान खान का इस्तीफा।
पीपीपी के नेता शाहिद मसूद ने खुलासा किया कि पीपीपी का लंबा मार्च इस्लामाबाद में दस्तक देगा। इसमें टीएलपी और जेयूआई के सदस्यों सहित हजारों लोग शामिल हो रहे हैं। हालांकि, उन्होंने मार्च करने वालों के नाम बताने से इनकार कर दिया।
इमरान खान ने भाषण के दौरान इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपीय संघ के दूत द्वारा भेजे गए एक पत्र का जिक्र कर रहे थे, जिसमें पाकिस्तान से यूएनजीए के सत्र में रूस के खिलाफ मतदान करने का आग्रह किया गया था।
पीएम इमरान ने विशेष रूप से सवाल किया कि क्या भारत को भी पक्ष लेने के लिए ऐसा ही पत्र भेजा गया था? उन्होंने पूछा कि क्या यूरोपीय संघ इस्लामाबाद को अपना गुलाम मानता है?
पीडीएम नेताओं के खिलाफ पीएम खान की कठोर टिप्पणियों ने सभी को हैरान कर दिया। कुछ विश्लेषकों ने इसे विश्वास की झूठी भावना पेश करने का प्रयास माना।
कुछ अन्य लोगों को लगता है कि पिछले कुछ दिनों में शायद सत्ता और इमरान खान के बीच कुछ हद तक समझ बनी रही जो इस बढ़े हुए आत्मविश्वास के रूप में दिखाई दे रही है।
हालांकि, तथ्य यह है कि हर तरफ पीएम खान के खिलाफ मजबूत मोर्चाबंदी चल रही है और विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना के अंतिम चरण में है।
इस्लामाबाद से आई खबरों के मुताबिक, 7 फरवरी को जरदारी के आवास पर आसिफ जरदारी, शहबाज शरीफ, मौलाना फजलुर रहमान, यूसुफ रजा गिलानी, अहसान इकबाल, मरियम औरंगजेब और अन्य की भागीदारी के साथ इस मुद्दे को अंतिम रूप देने के लिए एक बैठक हुई थी।
अगस्त 2008 में जरदारी और नवाज शरीफ के बीच जरदारी के आवास पर एक बैठक में राष्ट्रपति मुशर्रफ के खिलाफ महाभियोग चलाने का फैसला किया गया था और मुशर्रफ को दस दिनों के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।
(आईएएनएस)