तोशाखाना मामले में उलझे इमरान पर नई मुसीबत, काजी ने किया दावा- वैध नहीं है इमरान खान और बुशरा बीबी का निकाह, इद्दत में उलझी इमरान की 'इज्जत'

इद्दत में अटके इमरान तोशाखाना मामले में उलझे इमरान पर नई मुसीबत, काजी ने किया दावा- वैध नहीं है इमरान खान और बुशरा बीबी का निकाह, इद्दत में उलझी इमरान की 'इज्जत'

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-13 11:25 GMT
तोशाखाना मामले में उलझे इमरान पर नई मुसीबत, काजी ने किया दावा- वैध नहीं है इमरान खान और बुशरा बीबी का निकाह, इद्दत में उलझी इमरान की 'इज्जत'

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में आर्थिक रूप से लेकर राजनीतिक तक भूचाल आया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उनकी गृहस्थी पर संकट मंडराता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल, इमरान खान ने अपने तीसरी बेगम बुशरा बीबी से जब से निकाह किया है तब से अब तक किसी न किसी वजह से लाइम लाइट में बने हुए हैं। एक बार फिर दोनों का निकाह चर्चा में बना हुआ है।

आपको बता दें कि, जिस मौलवी ने इमरान खान और बुशरा बीबी का निकाह साल 2018 में फरवरी में करवाया था। जबकि बुशरा बीबी का उनके पहले पति से तलाक नवंबर 2017 में हुआ था। इस नाते माना जा रहा है कि तलाके के बाद इद्दत की 4 महीने 10 दिन की अवधि पूरी नहीं हुई थी। इसलिए काजी ने दावा किया है कि यह निकाह इद्दत के दौरान हुआ था। जिसकी वजह से बुशरा-इमरान की निकाह गैर-इस्लामिक है और यह पूरी तरह शरीया के खिलाफ है। इमरान और बुशरा की शादी कराने वाले मौलवी का नाम काजी मुफ्ती सईद है। हालांकि, काजी साहब के इस बयान के बाद पाकिस्तान सहित दुनिया भर में एक बार फिर इमरान खान अपनी शादी को लेकर चर्चाओं में आ गए हैं। काजी ने जिस इद्दत के जरिए इमरान और बुशरा की निकाह को गैर-इस्लामिक करार दिया है आखिर वो होता है क्या आइए विस्तार से आपको समझाते हैं।

इस पूरे मामले पर आज तक ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में डिपार्टमेंट ऑफ इस्लामिक स्टडी के प्रोफेसर जुनैद हारिस से खास बातचीत की है और उनसे जाना है कि आखिर इस्लाम में इद्दत क्या होती है?  

क्या है इद्दत? 

इस्लाम में शरियत के अनुसार, किसी मुस्लिम महिला के शौहर यानी पति की मौत किसी कारण से हो जाती है तो वो कुछ दिनों के लिए शादी नहीं कर सकती है। जिसे इस्लाम में इद्दत का नाम दिया गया है। इद्दत के दौरान एक तय समय सीमा तक के लिए मुस्लिम महिला शादी नहीं कर सकती है। इस तय किए गए समय को ही इद्दत कहते हैं। जिसकी अवधि शौहर के इंतकाल से 4 महीने 10 दिन की होती है। इस दौरान महिला पर गैर मर्दों से पर्दा करना जरूरी होता है। जुनैद हारिस अपने आगे के बातचीत में कहते हैं कि, लोगों में एक आम धारणा यह भी है कि अगर शादी टूटती है तो कुछ वक्त तक शादी पर रोक को भी इद्दत के रूप में देखा जाता है। 

क्यों है इद्दत जरूरी?

प्रोफेसर जुनैद बताते हैं कि इद्दत इसलिए जरूरी है क्योंकि शौहर के इंतकाल के बाद कुछ समय महिला को इसलिए घर में रखा जाता है क्योंकि देखा जाता है कि कहीं महिला पेट से तो नहीं है। अगर इद्दत नहीं हो और महिला पति के मौत के बाद घर से निकले और वो मां बनने वाली हो तो उसके चरित्र पर सवाल खड़े हो सकते हैं। इसलिए महिला को इद्दत में रखना जरूरी बताया गया है। वहीं महिला पेट से हो तो बच्चे के जन्म के बाद ही वो अपनी मर्जी से शादी कर सकती है।

इद्दत रखना शरिया में जरूरी इसलिए बताया गया है क्योंकि महिला अपने पति के साथ कई सालों तक रिश्ते में रहती है और अचानक उसके चले जाने के बाद उसकी दुनिया बेरंग हो जाती है। महिला को भवानात्मक रूप से संभलने और शारीरिक तौर पर मजबूत होने के लिए भी इद्दत को बनाया गया है।

इद्दत के दौरान किस-किस से पर्दा

प्रोफेसर ने आजतक से बातचीत में आगे बताते हैं कि इद्दत के दौरान महिला को किसी ना-महरम से नहीं मिल सकती है केवल वो मरहम शख्स से ही मिल सकती है। दरअसल, ना-महरम हर वो आदमी है जिसे महिला की शादी हो सकती है। जबकि  मरहम में महिला का पति और उसका भाई आते हैं। 

इद्दत के दौरान पाबंदियां

इद्दत के दौरान महिला को किसी चमकीले कपड़े पहनने की मनाही, मेकअप लगाना, घर से बाहर निकलना और जब तक इद्दत की तय समय सीमा न समाप्त हो जाए तब तक सफेद कपड़े पहनना असली इद्दत की पहचान मानी जाती है। हालांकि, इसमें यह भी बात कही गई है कि अगर ऐसा कोई जरूरी काम आ पड़ा हो जो घर से बाहर निकले बिना नहीं किया जा सकता, उसके लिए महिला को घर से बाहर निकलने के लिए छूट है।

इद्दत के दौरान क्या हैं छूट

इस्लाम के शरिया के मुताबिक, अगर महिला घर में अकेली कमाने वाली है और उसके बिना घर का भरण-पोषण नहीं होता है तो वो बाहर जा सकती है लेकिन केवल महिला दिन में ही काम कर सकती है रात के समय उसको घर पर रहना बेहद जरूरी है। इसके अलावा महिला को केवल घर में चुप चाप बैठने की जरूरत नहीं है वो चाहे तो नेक काम या घर के कामों में आपने आप को व्यस्त रख सकती है। 

शौहर के इंतकाल या इद्दत के वक्त प्रेग्नेंसी पता चलने पर

अगर महिला पेट से है उसी दौरान शौहर की डेट हो जाती है। तब महिला की इद्दत बच्चे के जन्म तक चलती है। चार महीने का इद्दत लंबा बढ़ सकता है। अगर महिला शादी के लिए दूसरे आदमी से तैयार होती भी है तो बच्चे को जन्म देने के बाद ही ऐसा संभव हो सकता है।

पति की मृत्यु के बाद महिला की जिम्मेदारी 

पति की मौत के बाद उसकी जायदाद पर महिला का हक होता है। इद्दत के बाद अगर महिला दूसरी शादी करती है तो भी पहले पति के हिस्से पर महिला का हक रहेगा।  वहीं, अगर पति की मृत्यु के दौरान पत्नी प्रेग्नेंट है और इद्दत की अवधि के दौरान बच्चे का जन्म हो जाता है तो इसके साथ ही इद्दत पूरी मानी जाती है।


 

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