रूसी तेल की कीमत पर जी-7 और यूरोपीय यूनियन ने कसा नकेल, भारतीय तेल कपंनियां पर भी पड़ सकता है असर, जानें क्या पूरा मामला?    

रूस-यूक्रेन युद्ध रूसी तेल की कीमत पर जी-7 और यूरोपीय यूनियन ने कसा नकेल, भारतीय तेल कपंनियां पर भी पड़ सकता है असर, जानें क्या पूरा मामला?    

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-23 12:56 GMT
हाईलाइट
  • ये समूह रूस की इनकम आय को कम करना चाहते हैं

डिजिटल डेस्क, कीव। रूस व यूक्रेन के बीच नौ महीने से भीषण युद्ध जारी है। एक तरफ जहां रूस के ऊपर युद्ध खत्म करने का दबाव बन रहा है तो वहीं दूसरी तरफ आने वाले कुछ दिनों में यूरोपीय यूनियन और जी-7 ग्रुप समूह तेल की कीमत को निर्धारित कर प्राइस कैप का ऐलान कर सकती है। ऐसे में रूस की मुश्किलें बढ़ सकती है। अमेरिकी प्रभाव वाले पश्चिमी देशों के समूह यूरोपीय यूनियन और जी-7 ने अपने घोषणा में कहा था कि रूस जिस देश से अपना तेल बेचता रहा है, उसके लिए अब 5 दिंसबर 2022 से ग्रुप तय करेगा की तेल की कीमत क्या होगी? इससे स्पष्ट हो रहा है की ये समूह रूस की इनकम आय को कम करना चाहते हैं। 

न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, अमेरिकी वित्त मंत्रालय की ओर से मंगलवार को एक बयान आया है कि अमेरिका समेत जितने भी हमारे सहयोगी देश हैं, वो आने वाले कुछ दिनों में रूस के तेल की कीमतों पर प्राइस कैप का औपचारिक ऐलान कर सकते हैं। इसी सिलसिले में न्यूज एजेंसी ने एक वरिष्ठ अधिकारी से बात करते हुए बताया कि यूरोपीय यूनियन अपने साथी सदस्यों से इस पर सलाह मशविरा कर रहा है। इस बैठक के बाद इसे तत्काल प्रभाव में लाने का प्रयास किया जाएगा।

एजेंसी से बात करते हुए अधिकारी ने कहा कि ऐसा लग रहा है की आने वाले कुछ दिनों में ही तेल की कीमतों को निर्धारित कर दिया जाए। ये भी हो सकता है की तय समय से पहले ही इसे बड़े स्तर पर लागू कर दिया जाए। जिससे रूस से तेल खरीदने वाले देश इसका भरपूर फायदा उठा सके। 

समूह के इस एक्शन पर रूस ने कड़ा विरोध जताया है। जिसको लेकर अमेरिका के वित्त मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि ऐसा कोई कारण नहीं दिखता, जिसे रूस अपना विरोध जताए। अगर वह इसका विरोध करता है तो उसके लिए उचित नहीं होगा क्योंकि रूस से अधिक मात्रा में चीन और भारत जैसे अन्य देश तेल आयात करते हैं। जो उपभोक्ता पर सीधे असर डाल सकते हैं।

क्या करेगी रूसी सरकार?

गौरतलब है कि जी-7 और यूरोपीय यूनियन ने जो कदम रूस के खिलाफ उठाने जा रही है। इस पूरे प्रकरण को देख कर तो ऐसा लग रहा की ग्रुप के सभी देश एकजूट होकर रूस की आय स्त्रोत को कम करना चाहते हैं। साथ ही रूस जिस फंड का उपयोग यूक्रेन से हो रहे युद्ध में कर रहा है उसको रोका जा सके। हालांकि यूरोपीय यूनियन और जी-7 के इस फैसले पर रूस की ओर से कड़ा विरोध जाताते हुए कहा गया कि इस पूरे प्रकरण में जो भी देश सम्मिलित होगा उसे हम तेल नहीं देगें। वहीं जी-7 समूह में फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, जापान, जर्मनी और अमेरिका जैसे ताकतवर देश शामिल हैं।

पीछे हट रही हैं भारतीय कंपनियां

इस पूरे मामले को लेकर भारत में भी असर दिखने को मिल रहा है। दरअसल, जैसे-जैसे प्राइस कैप की डेट नजदीक आ रही है, वैसे भारतीय तेल कंपनियों ने रूस से तेल खरीदना कम कर दिया है। वहीं विश्व की सबसे बड़ी तेल कंपनी रिलाइंस इंडस्ट्रीज ने 5 दिंसबर के बाद तेल का ऑर्डर नहीं किया है। इसके अलावा भारत पेट्रोलियम ने भी एक भी रूसी कार्गो का ऑर्डर नहीं दिया है।

सरकार चिंतित नहीं

दरअसल, कुछ दिनों पहले ही हरदीप सिंह पूरी ने इस पूरे मसले पर बयान दिया था। कहा था कि भारत सरकार पर इस प्राइस कैप की वजह से कोई दबाव नहीं आएगा। जब प्राइस कैप को लागू किया जाएगा तब देखा जाएगा। हमारी सरकार इसको लेकर किसी भी प्रकार के तनाव या डर में नहीं है।


 

Tags:    

Similar News