Corona Virus Research: छींक की बूंद के आकार पर निर्भर है हवा में संक्रमण होगा या नहीं

Corona Virus Research: छींक की बूंद के आकार पर निर्भर है हवा में संक्रमण होगा या नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-11 06:46 GMT
Corona Virus Research: छींक की बूंद के आकार पर निर्भर है हवा में संक्रमण होगा या नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नोवल कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है। इसे रोकने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात रिसर्च कर रहे हैं। इस बीच न्यूयॉर्क के सिटी यूनिवर्सिटी में भौतिकी विभाग के प्रोफेसर लुइस एंकरोडोकी और सीएम यूजन ने कोविड-19 के ऊपर एक नया शोध किया है। जिसमें वायरस एक जगह से दूसरी जगह हवा में जा सकता है या नहीं इसे बताया गया है। 

वैज्ञानिकों ने 12 से 21 हजार प्रकार की बूंदों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट के अनुसार छींक से निकली बूंद के आकार पर निर्भर करता है वह कितने देर हवा में रह सकती है। 50 माइक्रॉन से बड़े आकार की बूंद को डेढ़-दो मीटर की ऊंचाई से जमीन पर आने में आधा सेकंड लगता है। बूंद का आकार जितना छोटा होता है, वे उतना अधिक समय हवा में रहती हैं। 0.5 माइक्रॉन की बूंद को जमीन पर आने में करीब 16.6 घंटे लग जाते हैं। वहीं दावा भी किया है कि छींक की बूंदों से वायरस का सीधा संक्रमण संभव है। 

रिपोर्ट में बताया गया कि सूखी हवा में मौजूद सूक्ष्म वायरस पर गुरुत्वाकर्षण का असर जल्द नहीं होता है। जैसे कुछ दूरी पर खोली गई प्ररफ्यूयम की बोतल से निकली खुशबू हवा के जरिए लोगों तक पहुंचती है, यह भी पहुंच सकते हैं। सांस लेने, बातचीत, छींकने और खांसने के दौरान निकले द्रव से संक्रमण का खतरा है। 

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रिसर्च में कहा गया है कि छींक या खांसी से निकली बूंदें कमरे के दूसरे भाग में पहुंच सकती हैं। कुछ मीटर की दूरी रखने पर भी वायरस का खतरा कम नहीं होता। मॉल, रिटेल स्टोर, ऑफिस और मीटिंग रूम में संक्रमण का खतरा ज्यादा है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि अब तक हॉस्पिटलों से हवा में वायरस फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया है। जहां नोवल कोरोना वायरस के रोगी एडमिट है। 

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