अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे पर बोले जो बाइडेन- इतनी बड़ी फौज और हथियारों से लैस लोगों ने हार कैसे मान ली
Biden Address अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे पर बोले जो बाइडेन- इतनी बड़ी फौज और हथियारों से लैस लोगों ने हार कैसे मान ली
- अफगानिस्तान से सेना की वापसी के बाद पहली बार देश के नाम संबोधन
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेट का राष्ट्र के नाम संबोधन
- ट्रम्प का तंज- हालात देखकर क्या मेरी याद आ रही है?
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने अफगानिस्तान के हालातों को लेकर व्हाइट हाउस से राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि तालिबान बहुत जल्द काबिज हो गया। वहां की लीडरशिप ने बहुत जल्द हथियार डाल दिए। हमने वहां अरबों डॉलर खर्च किए। अफगान फोर्स को ट्रेनिंग दी। इतनी बड़ी फौज और हथियारों से लैस लोगों ने हार कैसे मान ली। यूएस आर्मी को अफगानिस्तान से वापस बुलाने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए बाइडेन ने कहा कि वह अफगानिस्तान में अमेरिका के युद्ध को पांचवें राष्ट्रपति को नहीं सौंपेंगे।
बाइडेन ने कहा, अमेरिकी सैनिक उस युद्ध में नहीं मर सकते जो उनका नहीं हैं। हमने लाखों खर्च किए। हमने उन्हें एयर सपोर्ट, उपकरण दिए लेकिन जो हम उन्हें प्रदान नहीं कर सके वह उनके लिए लड़ने की इच्छा थी।
बाइडेन ने कहा, अमेरिकी सेना वहां कितना और रुकती। इससे क्या हालात बदल जाते? मैंने अशरफ गनी से जून में बात की थी। उनसे कहा था कि वे प्रशासन में करप्शन को खत्म करें। गनी को भरोसा था कि उनकी फौज तालिबान का मुकाबला कर लेगी। उन्होंनें कहा, मैं वो गलतियां नहीं कर सकता था जो पहले के लोगों ने कीं। इसलिए अपने प्लान पर अड़ा रहा। अफगान लोगों को अपना भविष्य तय करने का अधिकार है। वहां की फौज हमारे कई नाटो सहयोगियों से ज्यादा है। उनके पास हथियार भी थे। फिर ये क्यों हुआ?
बाइडेन ने कहा, मैंने खुद वहां तैनात अपने सैनिकों से बातचीत की। फिर ये तय किया कि इस मामले को डिप्लोमैटिक तरीके से हल करना होगा। आखिरकार मुझे अमेरिका के हित भी देखने थे। बाइडेन ने बताया कि उन्होंने फिलहाल अफगानिस्तान में 6 हजार सैनिक भेजे हैं। ताकि वे उनके और सहयोगी देशों के लोगों को निकाल सकें। वे वहां दिन रात काम कर रहे हैं। बाइडेन ने कहा, मैं चाहता हूं कि वहां से हमारे सभी सिविलियन वहां से सुरक्षित लौटें।
बाइडेन ने कहा, मुझे अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है क्योंकि यह अमेरिका के हित में है। अपनी सेना को वहां रखना हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हित में भी नहीं था। उन्होंने कहा, हमने तालिबान को साफ कर दिया है कि अगर हमारे सैनिकों पर हमला हुआ तो हम बहुत सख्त एक्शन लेंगे। अमेरिकी सैनिक वहां से जा रहे हैं लेकिन हम वहां पूरी तरह नजर रख रहे हैं।
बता दें कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने जो बाइडेन पर निशाना साधा था। ट्रंप ने कहा, अफगानिस्तान की दुखद स्थिति- क्या आप अभी भी मुझे याद करते हैं? अफगानिस्तान में तालिबान का तेजी से नियंत्रण अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए बड़ी शर्मिंदगी का कारण बन गया है।
अमेरिका ने 20 सालों में यहां करीब 2 ट्रिलियन डॉलर खर्च किया। 2500 अमेरिकियों ने अपना जीवन गंवाया। लेकिन अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अब तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा हो चुका है। सोशल मीडिया पर चर्चा है कि अगर ट्रंप इस समय राष्ट्रपति होते तो अफगानिस्तान की स्थिति कुछ और होती।
अमेरिका के कई शहरों में अफगानिस्तान के हालात और अमेरिका की भूमिका को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। व्हाइट हाउस के बाहर भी कई प्रदर्शनकारी बैनर और पोस्टर लेकर पहुंचे। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान को उसके हाल पर छोड़ दिया और तालिबान को रोकने के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई।
इससे पहले बाइडेन ने अपने बयान में कहा था कि अमेरिका ने 11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद अल-कायदा को हराने के अपने मुख्य लक्ष्य को बहुत पहले हासिल कर लिया था। 300,000 अफगान सैनिकों को अमेरिका ने ट्रेनिंग भी दी है।