भारत और चीन की लड़ाई का फायदा उठा रहा है अमेरिका- रूसी राजदूत , भारत और रूस के व्यापारिक संबंधों में खलल डाल रहे हैं पश्चिमी देश
भारत और रूस संबंध भारत और चीन की लड़ाई का फायदा उठा रहा है अमेरिका- रूसी राजदूत , भारत और रूस के व्यापारिक संबंधों में खलल डाल रहे हैं पश्चिमी देश
- मुल्य जरूरतों को पूरा करते रहेंगे दोनों देश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस के राजदूत ने अमेरिका के खिलाफ बड़ा बयान दिया है। राजधानी दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने कहा कि, "यूक्रेन में जारी संघर्ष पर अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों के अहंकारी रवैये और मौजूदा भू-राजनीतिक बदलावों की वजह से भारत और रूस के बीच संबंध तनाव में हैं।" साथ ही उन्होंने कहा कि, रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध के कारण वित्तीय बाधाओं ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में व्यवधान पैदा किया है।
बता दें कि 'थर्टी इयर्स ऑफ इंडिया-रूसी फ्रेंडशिप ट्रीटी' में संबोधन के दौरान रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने अमेरिका पर हमला बोला कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत और चीन के बीच 'विरोधाभासों' का लाभ उठा रहा है। जिसके बाद उन्होंने भारत-रूस के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि मॉस्को और नई दिल्ली ने दशकों से पुराने संबंधों पर लगातार विश्वास हासिल किया है। इससे दोनों देशों को मौजूदा भू-राजनीतिक अशांति से निपटने में मदद मिलेगी।
दोनों देशों के करंसी व्यापार का जिक्र करते हुए रूसी राजदूत ने कहा कि भारत और रूस के बीच रुपया-रूबल व्यापार के लिए तंत्र स्थापित किया गया है। लेकिन भारतीय बैंक इसका उपयोग करने में अधिक सतर्कता बरत रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम भारत को बताना चाहते है कि व्यापार तंत्र में अमेरिकी किसी तरह से हस्ताक्षेप नहीं कर सकता है।
मुल्य जरूरतों को पूरा करते रहेंगे दोनों देश
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रूसी राजदूत अलिपोव ने कहा कि रूसी कच्चे तेल पर पश्चिमी देशों ने प्राइस कैप और निश्चित राशि तय की है। इसके बावजूद भी रूस भारत पर पेट्रोलियम समेत सभी निर्यात के स्तर को बनाए रखेगा। अलिपोव ने कहा कि रूस भारत के साथ रिश्ते में और ज्यादा विविधता लाने का प्रयास कर रहा है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध किसी के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि दोनों देश एक दूसरे की मूल जरूरतों को पूरा करने के लिए है।
रूसी राजदूत अलीपोव ने कहा, "आज हमारे संबंध तनाव में हैं क्योंकि कुछ समय से हम कृत्रिम तरीके से लाए गए भू-राजनीतिक बदलावों का सामना कर रहे हैं। लेकिन पिछले साल यूरोप के रवैये के कारण यह तनाव और बढ़ गया। यह तनाव हमारी वजह से नहीं बल्कि कुछ तथाकथित पश्चिमी अमेरिकी समूहों के अहंकारी रवैये के कारण पैदा हुआ है।" फिर उन्होंने अपनी बातों को स्पष्ट करते हुए कहा कि जब मै तनाव की बात करता हूं तो मेरा मतलब विशेष रूप से आर्थिक संबंधों से है। पश्चिमी देशों के द्वारा लगाए प्रतिबंधों ने लेनदेन और रसद तंत्र को भी प्रभावित किया है।
अमेरिका को लेकर कही ये बातें
रूसी राजदूत ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि आने वाले समय में अमेरिका और चीन के रिश्ते में सुधार होते हैं तो भारत और चीन के साथ संबंध सुधारने में कामयाब होंगे और यदि ऐसा हुआ तो भारत के प्रति अमेरिका का रवैया बदल सकता है।
रूसी राजदूत का मानना है कि भारत और चीन के रिश्ते बेहतर होने से बड़े पैमाने पर दुनिया के लिए सबसे अनुकूल परिणाम होंगे। लेकिन अमेरिका के लिए यह आपदा की तरह होगा, क्योंकि वह अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच समस्या का अच्छी तरह से दुरुपयोग कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि, लोकतंत्र बनाम निरंकुशता का एक नया प्रतिमान उभर रहा है ताकि अमेरिका अपनी जैसी विचारधारा वाले साझेदारों के बीच निर्णायक स्थिति बनाए रखें।
बातचीत समाधान के लिए बेहतर विकल्प
भारत और चीन के बीच संबंध पर पूछे गए सवाल पर अलीपोव ने कहा, "रूस, भारत-चीन संबंधों को सामान्य होते देखना चाहता है। यह न केवल एशियाई सुरक्षा बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा दृष्टि से फायदेमंद होगा।" उन्होंने आगे कहा, "हम इस बात को समझते हैं कि इसमें बहुत बाधाएं हैं। दोनों देशों के बीच एक बहुत ही जटिल सीमा समस्या है। एक वक्त रूस की भी चीन के साथ सीमा समस्या थी। हमारा भी चीन के साथ सशस्त्र संघर्ष हुआ। हमें बातचीत करने में लगभग 40 साल लग गए। लेकिन अंततः समाधान खोजने का यही एकमात्र तरीका है।"
रूसी राजदूत ने कहा कि, " मैं एक सुझाव देना चाहता हूं कि भारत या चीन को क्या करना चाहिए। यह पूरी तरह से भारत और चीन के बीच एक द्विपक्षीय मामला है और हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करते हैं। लेकिन जितना जल्दी दोनों देशों के बीच रिश्ते समान्य होंगे, पूरी दुनिया के लिए उतना ही अच्छा होगा। अगर कभी भी हमारे प्रयासों की जरूरत होगी तो हम इसे सुविधाजनक बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।"