अफगानिस्तान में बढ़ा तालिबान का वर्चस्व, अशरफ गनी ने नहीं दिया इस्तीफा, कहा- हमारा देश खतरे में है

Afghanistan News अफगानिस्तान में बढ़ा तालिबान का वर्चस्व, अशरफ गनी ने नहीं दिया इस्तीफा, कहा- हमारा देश खतरे में है

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-14 10:04 GMT
अफगानिस्तान में बढ़ा तालिबान का वर्चस्व, अशरफ गनी ने नहीं दिया इस्तीफा, कहा- हमारा देश खतरे में है
हाईलाइट
  • अफगानिस्तान में तेजी से कब्जा करता जा रहा है तालिबान
  • अशरफ गनी ने राष्ट्रपति के पद से नहीं दिया इस्तीफा
  • तालिबान को लेकर अन्य देशों से बात कर रहे हैं अशरफ गनी

डिजिटल डेस्क, काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रसार के बीच अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के इस्तीफे की खबर पर विराम लग चुका है। टोलो न्यूज के मुताबिक अशरफ गनी ने इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने टेलीविजन के माध्यम से देश को संबोधित करते हुए कहा, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आपके राष्ट्रपति के रूप में मेरा ध्यान हिंसा और लोगों के विस्थापन को रोकने पर हैं।

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मैं और हत्याओं के लिए अफगानों पर थोपे गए युद्ध की अनुमति नहीं दूंगा। मैं सार्वजनिक संपत्ति की बर्बादी की इजाजत नहीं दूंगा। मैं ये सुनिश्चित करता हूं कि आगे अस्थिरता नहीं रहेगी। हमने अन्य देशों के साथ बातचीत की है। जल्दी ही नतीजे को सार्वजनिक कर दिया जाएगा। अभी की परिस्थिति में अफगान सैन्य बलों को पुनर्गठित करना पहली प्राथमिकता है। हमने बीत चुके 20 सालों में जो हासिल किया है। उसे जाया नहीं होने देंगे। तालिबान हमले के बीच राय मशविरा जारी है।

बता दें कि शुक्रवार तक तालिबान ने अफगानिस्तान के लोगार इलाके पर कब्जा कर लिया था। वहीं, शनिवार सुबह तालिबानियों ने पक्तिया प्रांत की राजधानी शरना को भी कब्जे में ले लिया। इसके बाद तालिबान काबुल से महज एक घंटे की दूरी पर रह गया था। तालिबान अब तक 34 प्रांत में से करीब 18 से अधिक अपने कब्जे में ले चुका है। पक्तिया तालिबानियों के कब्जे में जाने वाला 19वां प्रांत है। पिछले 7 दिन में तालिबान ने 18 प्रांतों पर कब्जा किया है।

इस बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अफगानिस्तान में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। स्थिति पूरी तरह संवेदनशील हो गई है। इस बीच तालिबान के कब्जे वाले इलाकों में हिंदू और सिख समुदाय के लोगों की चिंताओं पर सहमति जताते हुए विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि उन्हें सुरक्षित निकलने में मदद दी जाएगी। भारत सरकार ने पहले भी 380 से अधिक परिवारों को भारत आने में मदद की थी। अफगानिस्तान में अब भी 30-40 सिख परिवार बताए जाते हैं। इसके साथ ही वहां मौजूद सभी राजनायिकों और स्टॉफ को सुरक्षित भारत लाया जाएगा।

काबुल में भारतीय दूतावास ने कहा कि हालिया घटनाओं से पता चलता है कि भारतीय नागरिक दूतावास की सुरक्षा सलाह पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और खुद को खतरे में डाल रहे हैं। एडवाइजरी में कहा गया, "हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें सरकारी बलों के नियंत्रण से बाहर के क्षेत्र में एक डैम साइट पर तीन भारतीय इंजीनियरों का इमरजेंसी एयर रेस्क्यू करना पड़ा।" सभी भारतीय नागरिकों से समय-समय पर जारी सिक्योरिटी एडवाइजरी का पूरी तरह से पालन करने का आग्रह किया गया है।

ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए अफगानिस्तान पहुंचने वाले भारतीय पत्रकारों से दूतावास ने कहा कि उन्हें देश में अपने प्रवास और आवाजाही के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करने की सलाह दी जाती है। एडवाइजरी में कहा गया है कि भारतीय पत्रकारों को अच्छी तरह से स्थापित सुरक्षा लॉजिस्टिक फर्मों की पहचान करनी चाहिए जो देश में उनके ठहरने और आवाजाही के लिए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था कर सकें।

 

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