आतंकवाद पर लगेगी लगाम: 'इस्लामिक नाटो' की छांव तले आएंगे दुनिया के 25 मुस्लिम देश, पाकिस्तान, सऊदी अरब बन सकते हैं कोर मेंबर

  • इस्लामिक नाटो के गठन की तैयारी तेज
  • संगठन में 25 मुस्लिम देश होंगे शामिल
  • आतंकवाद के खिलाफ चलाएंगे अभियान

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-29 03:44 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आतंकवाद के बढ़ते प्रकोप को रोकने और अन्य चुनौतियों का सामना करने के लिए पाकिस्तान, सऊदी अरब समेत 25 मुस्लिम देश एक संगठन की छांव तले एकमुश्त होने जा रहे हैं। इसके लिए ये मुस्लिम देश नाटो की परिपाटी पर इस्लामिक नाटो संगठन की स्थापना कर सकते हैं। इस संगठन का मकसद नाटो की जैसे ही आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना होगा।

संगठन में ये मुस्लिम देश बनेंगे सदस्य

फिलहाल, इस संगठन में मुस्लिम देशों की तादाद को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, इस्लामिक नाटो में एशिया और अफ्रीका के 25 देश के सदस्य बनने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा इस समूह के कोर मेंबर के तौर पर सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्की, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, बहरीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और मलेशिया शामिल हो सकते हैं। 

इस्लामिक नाटो में पार्टनर के तौर पर कई देश शामिल हो सकते है। सूत्रों के मुताबिक, इनमें इंडोनेशिया, ईरान, इराक, ओमान, कतर, कुवैत, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और लीबिया इस समूह के पार्टनर बन सकते हैं। जबकि, एसोसिएट सदस्यों के तौर पर अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ब्रुनेई भी जुड़ सकते हैं।

इस्लामिक नाटो बनाने का उद्देश्य?

इस संगठन को नाटो की तर्ज पर बनाया जा रहा है। इसके समूह को बनाने का मकसद मस्लिम देशों का एकमुश्त होकर आतंकवाद रोधी अभियान चलाना है। इस संगठन के तहत मुस्लिम देश एक दूसरे के सैन्य बलों को अत्याधुनिक बनाने पर जोर देंगे।

यदि देखा जाए तो इस्लामिक नाटो का गठन भारत के लिए कई मायनों में मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इस बारे में जानकारों ने अपने विचार साझा किए हैं। उनका कहना है कि इस्लामिक नाटो के बनने से कश्मीर विवाद के मसले को हवा मिल सकती है। जिससे संगठन भारत पर दबाव बनने की कोशिश कर सकता है। इसके अलावा संगठन के गठन के बाद पाकिस्तान सशक्त हो सकता है। ऐसे में सीमा सुरक्षा का मुद्दा भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

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