आम बजट 2024-25: मालदीव को मिली भारत के विरोध की सजा, मोदी सरकार ने बजट में की बड़ी कटौती

  • बजट में विदेश मंत्रालय को आवंटित हुई 22154 करोड़ रुपये की राशि
  • इसमें से भारत के पड़ोसी और मित्र देशों को 4773 करोड़ रुपये दिए जाएंगे
  • चीन समर्थक मालदीव को मिलने वाले पैकेज में सबसे बड़ी कटौती

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-23 14:15 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। बजट में विदेश मंत्रालय को 22 हजार 154 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है जो कि पिछले बजट से 24 फीसदी कम है।

पिछले साल के बजट में विदेश मंत्रालय को मिलने वाली राशि 29 हजार 121 करोड़ रुपए थी। इस तरह इसमें कुल 6,967 हजार करोड़ की कटौती हुई है। विदेश मंत्रालय को यह राशि नेबर्स फर्स्ट पॉलिसी और सागर मिशन के तहत पड़ोसी और मित्र राष्ट्रों की आर्थिक रूप से सहायता के लिए आवंटित की गई है।

भारत के पड़ोसी और मित्र देश

भारत के मित्र राष्ट्र भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, सेशेल्स, मंगोलिया, अफ्रीकी देश, यूरेशियाई देश, लैटिन अमेरिकी देश और अन्य विकासशील देश हैं। इन सभी देशों को भारत 4773 करोड़ रुपये देगा। यह राशि पिछली बार की तुलना में इस राशि में करीब 500 करोड़ रुपये की कमी की गई है।

4473 करोड़ में से सबसे ज्यादा राशि भूटान को दी गई है। भूटान के लिए 2 हजार 68 करोड़ का पैकेज रखा गया है। हालांकि यह पिछले बार से 400 करोड़ कम है। वहीं, नेपाल और श्रीलंका के लिए आवंटित की जाने वाले राशि में बढ़ोतरी हुई है। पिछली बार के बजट में श्रीलंका के लिए 60 करोड़ और नेपाल को 650 करोड़ रुपये दिए गए थे। जो इस बार बढ़कर क्रमश: 250 और 700 करोड़ कर दी गई है।

मालदीव का पैकेज किया कम

इस बार के बजट में भारत सरकार ने मालदीव को मिलने वाला पैकेज कम कर दिया है। पिछले बार के बजट में मालदीव को 770 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई थी। जिसे इस साल कम करके 400 करोड़ रुपये कर दी है। चीन समर्थक देश मालवीय उन देशों में सबसे शीर्ष पर है जिसके पैकेज में सबसे ज्यादा कटौती की गई है।

दरअसल, मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू की सरकार बनते ही भारत के खिलाफ वहां भारत का विरोध किया जाने लगा। बता दें कि मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है, उनके सत्ता संभालते ही देश में मालदीव में इंडिया आउट मूमेंट चलाया जाने लगा। जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया।

इस विवाद का असर यह हुआ कि भारत से हर साल लाखों की संख्या में मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई। इस बीच राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के हाईड्रोग्राफिक सर्वे एंग्रीमेंट को खत्म कर आग में घी डालने का काम किया।

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