भारत -मालदीव विवाद: मालदीव में भारतीय सैनिकों को नहीं रहने देंगे, चीन से डील के बाद मुइज्जू ने फिर दिखाए तेवर
- 10 मई का अल्टीमेटम
- चीन के साथ मालदीव के सैन्य समझौते
- मुइज्जू ने विपक्षियों पर साधा निशाना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक बार फिर भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। मुइज्जू ने ये बयान चीन के साथ हुए सैन्य समझौतों के बीच दिया है। मुइज्जू ने कहा है कि 10 मई के बाद किसी भी तरह से भारतीय सैनिक को मालदीव में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी, सादे कपड़ों में भी रहने नहीं दिया जाएगा।
मालदीव राष्ट्रपति मुइज्जू ने अपने बयान में कहा कि उनकी सरकार देश से भारतीय सैनिकों को बाहर करने में सफल रही है। इस दौरान मुइज्जू ने उन लोगों पर भी निशाना साधा जो अफवाह फैला रहे हैं, वे स्थिति को और गड़बड़ करने और बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। मुइज्जू का कहना है कि लोगों की ओर से अफवाहें फैलाए जा रही हैं कि भारतीय सेना मालदीव से नहीं जा रहे और भारतीय सैनिक सादे कपड़े पहनकर वापस लौट रहे हैं।
इससे पहले भारतीय सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर मालदीव की सत्ता में आने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के एक और झूठ का पर्दाफाश हुआ है। दरअसल पूर्व विदेश मंत्री और विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने भारतीय सैनिकों की मालदीव में मौजूदगी को लेकर किए उनके दावों का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि मुइज्जु का यह दावा सरासर गलत है देश में कोई भी भारतीय सैनिक मौजूद नहीं है।
शाहिद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 100 दिनों में, यह साफ हो गया है कि राष्ट्रपति मुइज्जू का 'हजारों भारतीय सैनिकों' का दावा उनकी तरफ से बोला गया एक और झूठ था। मुइज्जू सरकार की भारतीय सैनिकों की सही संख्या बता पाने में असमर्थता बहुत कुछ कहती है। देश में कोई भी सशस्त्र विदेशी सैनिक तैनात नहीं है। पारदर्शिता मायने रखती है और सच्चाई सामने आनी चाहिए।
चीन के समर्थक कहे जाने वाले मुइज्जू सत्ता संभालने से पहले यानी चुनाव अभियान के समय से ही भारत विरोधी सुर अख्तियार किए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों की वापसी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। मुइज्जु ने लोगों से वादा किया था कि यदि वो सत्ता में आते हैं तो देश में तैनात भारतीय सैनिकों को वापस भेज देंगे। इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के दूसरे दिन ही मुइज्जू ने भारत सरकार से सैनिकों को वापस बुलाने की रिक्वेस्ट की थी।
वहीं पिछले साल दिसंबर में मुइज्जू ने ऐलान किया था कि मालदीव और भारत सरकार के बीच भारतीय सैनिकों को वापस भेजने को लेकर समझौता हो गया है। इसके बाद इस साल के पहले महीने में मालदीव के राष्ट्रपति ने दावा किया था कि भारतीय सैनिक जल्द ही अपने देश रवाना होने वाले हैं। संसद में दिए अपने पहले संबोधन में भी मुइज्जू ने कहा था, 'हमने भारत से आधिकारिक रूप से आग्रह किया कि वो मालदीव में मौजूद अपने सौनिकों को जल्द वापस बुला लें। सैनिकों की वापसी को लेकर हाल ही में बातचीत हुई है जिसमें डिसाइड हुआ है कि तीन हवाई प्लेटफॉर्म पर मौजूद भारतीय सौनिक 10 मार्च 2024 तक मालदीव से वापस चले जाएंगे। बाकी बचे सैनिक 10 मई 2024 तक वापस जाएंगे।' मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्तमान समय में मालदीव में 70 भारतीय सैनिक मौजूद हैं।
आपको बता दें कि भारत और मालदीव के बीच राजनयिक संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लक्षद्वीप का दौरा करने पर मालदीव के तीन मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर अपत्तिजनक पोस्ट की थी। हालांकि मुइज्जू सरकार ने उन तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद भी दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ती ही जा रही है।
वहीं दूसरी तरफ भारतीय पर्यटकों ने भी 'बायकॉट मालदीव' अभियान चला दिया है। जिसके चलते मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन से अपने देश में पर्यटक भेजने की अपील की है। बता दें कि राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी पहली चीन यात्रा पर गए मालदीव के राष्ट्रपति ने चीनी राष्ट्रपति जिंगपिंग के साथ 20 समझौतों पर साइन किए। इनमें से ज्यादातर समुंदर से जुड़ी इकोनॉमी पर आधारित हैं।