आम चुनाव: पाकिस्तान में कल आम चुनाव,कई देशों की टिकी नजर
- पाकिस्तान में कल का दिन काफी अहम
- बलूचिस्तान में संघर्ष कर रहे बीएलए के प्रवक्ता
- पाकिस्तान में चुनाव सेना अपनी मनमर्जी से कर रही है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में कल गुरुवार को आम चुनाव होने है। इस लिहाज से कल का दिन पाक में काफी अहम माना जा रहा है। आम चुनाव को लेकर दुनिया के सभी प्रमुख देशों की निगाहें पाकिस्तान पर टिकी हुई हैं। पाकिस्तान में होने वाले आम चुनावों को लेकर अमेरिका के विदेश विभाग ने 'फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन' से चुनाव कराए जाने की बात कही है। पाकिस्तान के लिए आम चुनाव अपनी बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था और पड़ोसी देंशों से बिगड़ते संबंधों को मजबूत बनाने के लिए काफी अहम माना जा रहा है। पाकिस्तान चुनाव आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पर कई प्रतिबंध लगा दिए गए है। नवाज शरीफ की पाकिस्तान में वापसी और चुनाव को जोड़कर देखा जा रहा है।
अमर उजाला कुछ विदेशी मामलों के जानकारों के अनुसार लिखता है कि पाकिस्तान में होने वाले चुनाव में निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में संघर्ष कर रहे बीएलए के प्रवक्ता सरफराज खरोशी कहते हैं कि दरअसल पाकिस्तान की सियासत में पंजाब प्रांत का सबसे ज्यादा दखल रहता है। खरोशी के मुताबिक बलूचिस्तान से तो इस बार भी गुरुवार को होने वाले आम चुनाव में न के बराबर सहभागिता है।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में संघर्ष कर रहे बीएलए के प्रवक्ता सरफराज खरोशी का कहना है कि पाकिस्तान में सेना प्रमुख और नवाज शरीफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से आते हैं। बिलावल अली भुट्टो सिंध से ताल्लुक रखते हैं। जबकि इमरान खान पेशावर से हैं और खैबर पख्तूनवा से आते हैं। पाकिस्तान में चुनाव सेना अपनी मनमर्जी से कर रही है। नवाज शरीफ की पार्टी ही आम चुनाव में जीतेगी, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। दरअसल पंजाब कनेक्शन का फायदा सेना और शरीफ उठाना चाहते हैं।
आपको बता दें पाकिस्तान भले ही चुनाव को लेकर लोकतंत्र होने का ढिंढोरा पीट रहा है, लेकिन पीटीआई के नेता, पूर्व पीएम इमरान खान समेत तमाम विपक्षी दलों पर जिस तरह से अदालती कार्रवाई हो रही है, उससे साफ स्पष्ट हो जाता है पाकिस्तान में सत्तारूढ़ विपक्षी पार्टियों को खत्म करना चाहती है। और पाकिस्तानी सेना का जिन्हें समर्थन हासिल होगा उसे ही सत्ता मिलने के कयास लगाए जाते रहे है। पाक में सेना सत्ता में अहम रोल अदा करती है। ऐसे में लोकतंत्र नाम मात्र का नजर आता है।