चीन बनेगा मुसीबत: चीन की बिगड़ती अर्थव्यवस्था दुनिया के लिए बनी खतरा! विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था को लेकर क्या बोले अर्थशास्त्री?

  • चीन की बिगड़ती हालात
  • दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है चाइना

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-02 11:41 GMT

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। चीन की अर्थव्यवस्था इन दिनों कई समस्याओं से जूझ रही है। बीते दो सालों में पहली बार चीन में खाद्य पदार्थों के दामों में भारी गिरावट आई है। चीन, अमेरिका के बाद दुनिया का सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था वाला देश है। जबकि भारत के बाद इसकी आबादी सबसे ज्यादा है। मौजूदा समय में चीन की आबादी एक सौ चालीस करोड़ से अधिक है। इतनी बड़ी आबादी के बीच चीन कई तरह की परेशानियों से घिरा हुआ है। इनमें धीमी गति से होती विकास दर, बेरोजगारी और प्रॉपर्टी बाजार की उथल-पुथल शामिल है।

इसके अलावा चीन डीफ्लेशन यानी अवस्फीति की स्थिति का भी सामना कर रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि, ये स्थिति तब आती है जब मार्केट में चीजों की मांग कम होने लगती है या प्रोडक्टिविटी जरूरत से ज्यादा होने लगता है या उपभोक्ता पैसा खर्च करने में संकोच करने लगता है। चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट होने की वजह रियल एस्टेट को भी माना जा रहा है। चीनी मीडिया के मुताबिक, रियल एस्टेट डेवलपर एवरग्रांडे के चेयरमैन को पुलिस ने अपनी निगरानी में रखा है। चाइना की सरकार ने कंपनी के शेयरों को शेयर बाजार से निलंबित कर दिया है। एवरग्रांडे चीन की रियल एस्टेट के कारोबार में बहुत बड़ा नाम हैं, जो वहां की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाता है।

कोविड महामारी बना चीन के लिए मुसीबत

विदेशी मामलों के जानकर और दुनिया की अर्थव्यवस्था को समझने वालों का कहना है कि, चीन की अर्थव्यवस्था कोविड महामारी के समय से ही धीमी रफ्तार से चल रही है। चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर द गार्जियन ने बताया, चाइना ने पिछले दशक में दुनिया की 41% खपत का सामान निर्यात किया है, जो अमेरिका के 22% योगदान से लगभग दोगुना है, और यूरो क्षेत्र के 9% योगदान से बहुत अधिक है। जिसका अर्थ है कि चीन ने विश्व अर्थव्यवस्था की 2.6% वास्तविक विकास दर का 1.1 प्रतिशत माल उत्पन्न किया है।

चीन की अर्थव्यवस्था तीन फीसदी से भी कम

मौजूदा समय में चीन की आर्थिक व्यवस्था तीन फीसदी से भी कम आंकी गई है जो पिछले तीन दशक से कम है। चाइना की आर्थिक हालत खराब देख चीन में मौजूद अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ऐसी उम्मीद थी कि कोविड महामारी के बाद देश के लोग खर्च करने में तेजी से आगे बढ़ेंगे और निजी कंपनियों में पैसे भी लगाएंगे। लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होने की जगह कोविड-19 के समय से भी ज्यादा इस वक्त बिगड़ती हुई दिखाई दे रही है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन की बिगड़ती आर्थिक हालात वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकती थी लेकिन इन हालातों को देख ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।

चीन की वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था पर खतरा

चीन की बिगड़ती अर्थव्यवस्था दुनिया के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। दुनिया के कई ऐसे देश है जो चीन से सामान मांगते हैं। ऐसे में चीन के बाजार में कम दाम में समान मिलती हैं तो दूसरे देशों में होने वाले निर्यात पर भी असर पडे़गा। अगर कोई देश चीन से कम लागत में सामान खरीदेगा तो वो भी कम ही दाम में बेचेगा। जिसका सीधा असर दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

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