चीन की तैयारी: ईरान से तेल खरीदी, अफगान के रास्ते इंपोर्ट- अमेरिका के खिलाफ क्या नया प्लान कर रहा है चीन?

  • चीन क्यों बढ़ा रहा है अफ्गानिस्तान से दोस्ती?
  • ताजिकिस्तान में है बेस
  • यूक्रेन और रूस के युद्ध के बात चीन की तैयारी भी शुरू

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-16 13:04 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद चीन को एक बड़ी सीख मिल गई है। चीन को इस बात का अंदाजा हो गया है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका उसके खिलाफ भारी कदम उठाएगा। ये भी हो सकता है कि चीन को अमेरिका पूरी तरीके से पश्चिमी देशों से बॉयकॉट करा दे। आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन के युद्ध को शुरू हुए दो साल से ज्यादा हो चुका है और अभी भी ये युद्ध चल ही रहा है। इस बीच रूस ने अमेरिका और पश्चिम देशों के प्रतिबंधों का मजाक बनाया है। जिसकी सबसे बड़ी वजह रूस के पास खुद की ऊर्जा होना है। रूस के पास कच्चा तेल था जिसे भारत और चीन को बेचकर वो युद्ध का खर्च वहन कर सका। चीन को अपने बारे में जानकारी है उसको पता है कि उसके पास ऊर्जा का भंडार नहीं है। आपको बता दें कि चीन दुनिया के उन टॉप-10 देशों में है जिसके पास पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तेल है। लेकिन ज्यादा पॉपुलेशन के चलते चीन को तेल का निर्यात करना पड़ता है। युद्ध के समय उसे निर्यात प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। जिसके चलते उसने पहले ही तैयारी शुरू कर दी है।

क्यों बढ़ा रहा है चीन अफगानिस्तान से अपनी दोस्ती?

यूट्यूब पर शॉन रयान शो में सीआईए की एजेंट सारा एडम्स ने इसे लेकर एक नया खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि, "हर किसी को लगता है कि चीन लिथियम के लिए अफगानिस्तान में है। लेकिन वहां एकदम दूसरी चीज है, जिससे चीन को मतलब है। चीन ने ईरानियों से एक डील की है कि अगर अमेरिका ने चीन पर हमला किया तो वह ईरान से तेल खरीदेगा। इस तेल को चीन तक पहुंचाने के लिए रास्ता अफगानिस्तान से गुजरेगा। क्योंकि यूएस साऊदी और दक्षिण अमेरिका से आने वाले तेल की सप्लाई कट कर देगा।"

ताजिकिस्तान में क्या है काम?

ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि चीन पाकिस्तान से तेल क्यों नहीं लाएगा? ऐसा माना जा रहा है कि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान पर अमेरिका दबाव बना सकता है। लेकिन ईरान और तालिबान पर ऐसा करना मुश्किल हो सकता है। हाल ही में एक रिपोर्ट में पता चला है कि ताजिकिस्तान में चीन ने मिलिट्री बेस स्थापित कर लिया है। सैटेलाइट तस्वीरों से भी ये खुलासा किया गया है। ताजिकिस्तान की सीमा चीन और अफगानिस्तान से लगती है। ऐसा माना जा रहा है कि दुनिया में चीन को अपनी मिलिट्री उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जरूरी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ये कहा गया है कि चीन ने तालिबान के कारण क्षेत्र में बने वैक्यूम से निपटने के लिए ये बेस बनाया है। हालांकि चीन का दावा है कि उसने कोई भी बेस नहीं बनाया है। 

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