जमात-ए-इस्लामी ने बदला रंग: बैन हटते ही पार्टी मुखिया ने दी भारत को नसीहत, कहा- बांग्लादेशी मामलों से दूर रहें

  • जानें क्यों बैन थी जमात-ए-इस्लामी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-30 07:06 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की इस्लामिक कट्टपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) ने भारत का विरोध करना शुरू कर दिया है। पार्टी के प्रमुख शफीकुर रहमान (Shafiqur Rahman) ने भारत को बांग्लादेश के मामलों से दूर रहने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा, “जमात-ए-इस्लाम भारत के साथ स्थिर और अच्छा संबंध चाहती है, लेकिन बांग्लादेश के मामलों में नई दिल्ली का दखल बर्दाश्त नहीं करेगी।” दरअसल, जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) बांग्लादेश की सबसे बड़ी कट्टरपंथी पार्टी है, जिसपर बैन लगा हुआ था। लेकिन देश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को पार्टी पर लगे बैन को हटा दिया था, जिसके बाद जमात-ए-इस्लामी ने भारत का विरोध करा शुरू कर दिया है।

कट्टपंथी पार्टी के प्रमुख ने क्या कहा?

आपको बता दें कि, शफीकुर रहमान भारतीय मीडिया संवाददाता संघ बांग्लादेश के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग कर रहे थे। बैठक के दौरान उन्होंने बोला कि भारत बांग्लादेश का पड़ोसी देश है। हालांकि, देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के वक्त जमात-ए-इस्लामी और नई दिल्ली के संबंधो के बीच दूरी आ गई, लेकिन वह आशा करते हैं कि भविष्य में दोनों देशों के बीच रिश्ता मजबूत होगा।

माफी मांगने के लिए तैयार- रहमान

बांग्लादेशी अखबर डेली मनाब जमीन से बातचीत में शफीकुर ने कहा, जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफीकुर रहमान ने कहा- हम एक दूसरे के पड़ोसी हैं और पड़ोसियों को मर्जी के हिसाब बदला नहीं जा सकता है। यह ऐसी चीज है, जिसे नकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि- जानबूझकर भारत या किसी भी देश की जमात आलोचना नहीं करता है। जमात-ए-इस्लामी शांति और लोकतंत्र के लिए समर्पित है, उनकी पार्टी कभी भी विद्रोहात्मक गतिविधियों में शामिल नहीं रही है। यदि इस पार्टी का कोई सदस्य आतंकवादी गतविधियों में शामिल पाया जाता है तो वह देश से माफी मांगने के लिए तैयार है।

पाकिस्तानी समर्थक पार्टी

जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश की आजादी में पाकिस्तान का साथ दिया था। वहीं, देश में शरिया कानून लागू करने की मांग भी कर रहे थे। आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने जमात को आम चुनाव से दूर रहने का आदेश दिया था। साथ ही, शेख हसीना की सरकार ने पार्टी के कट्टरपंथी रवैए के चलते बैन लगा दिया था। हालांकि, पूर्व पीएम शेख हसीना के इस्तीफा देते ही बांग्लादेश की कमान मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के पास आई और उन्होंने जमात-ए-इस्लाम से बैन हटा दिया।

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