China economy: पाकिस्तान के बाद चीन की इकोनॉमी फेल होने की कगार पर, कोरोना के बाद लगातार आर्थिक स्थिति ठीक करने में जुटा है ड्रैगन
- कोरोना के बाद लगातार आर्थिक स्थिति ठीक करने में जुटा है ड्रैगन
- पाकिस्तान के बाद चीन की इकोनॉमी फेल होने के कगार पर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान और चीन दोनों देशों की इकोनॉमी की हालत खस्ता है। इन दोनों मुल्कों के इकोनॉमी के आंकड़े बेहद डराने वाले हैं। एक समय ऐसा था जब चीन पाकिस्तान की मदद करता था। लेकिन, मौजूदा समय में चीन की आर्थिक स्थिति भी डामाडोल होने की कगार पर है। साथ ही, चीन के निर्यात और आयात दोनों में ही काफी गिरावट देखने को मिला है। ऐसे में चीन को डर है कि कही उसकी इकोनॉमी फेल न हो जाए।
पिछले साल अगस्त माह की तुलना में चीन की अर्थव्यवस्था में काफी ज्यादा गिरावट देखने को मिला है। इसके पीछे दुनियाभर में कम हुई वैश्विक मांग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जिसके चलते चीन की अर्थव्यवस्था पर दवाब देखने को मिल रहा है। गुरुवार को जारी सीमा शुल्क के आंकड़ो के मुताबिक, अगस्त माह में लगातार चौथे महीने चीन के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। अगस्त माह में यह आंकड़ा 8.8 प्रतिशत गिरकर 284.87 बिलियन डॉलर हो गया। इसी के साथ आयात 7.3 फीसदी गिरकर 216.51 अरब डॉलर पर आ गया है।
फेल हो रहा है चीन का इकोनॉमी सिस्टम
गौरतलब है कि, जुलाई माह में चीन का कुल अधिशेष व्यापार 80.6 बिलियन डॉलर से घटकर 68.36 बिलियन डॉलर रह गया। चीन की कोशिश थी कि वह कोरोना महामारी से जल्द से जल्द उभर जाए। लेकिन इसमें उसे नाकामी हासिल हुई है। इसके बाद चीनी नेताओं ने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई नीतिगत उपाय किए। लेकिन इसमें उसे कुछ खास कामयाबी हासिल नहीं हुई। जानकारी के मुताबिक, चीन ने छोटे व्यवसायों को लोन देने के लिए टैक्स में राहत दिया है। फिर भी खरीदारों की कमी के कारण यह उपाय भी फेल होता नजर आ रहा है।
यूरोप और एशिया में फेडरल रिजर्व और केंद्रीय बैंकों की मुद्रास्फीति दर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। फेडरल रिवर्ज और केंद्रीय बैंकों द्वारा यह मुद्रास्फीति दर कई दशकों के बाद बढ़ा है। पिछले साल इन बैकों द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू किया गया। इसके बाद चीनी निर्यात की मांग धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगी। जिसका असर अब धीरे-धीरे चीन की इकोनॉमी पर भी पड़ने लगा है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जिन बैंकों द्वारा ब्याज दर बढ़ा उसका असर अभी पश्चिमी देशों के अर्थव्यवस्थाओं पर नहीं पड़ा है। यहां अभी उपभोक्ता खर्च आशा के मुताबिक मजबूत बना हुआ है।
इधर, पाकिस्तान भी खराब अर्थव्यवस्था से गुजर रहा है। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की मदद की है। लेकिन आशंका यह बनी हुई है कि चीन दूसरे देशों की आर्थिक स्थिति ठीक करते-करते खुद की अर्थव्यवस्था खराब न कर ले।