क्या कांग्रेस ने अपना चुनाव चिन्ह इस्लाम से प्रेरित होकर लिया है? जानें सच
फैक्ट चैक क्या कांग्रेस ने अपना चुनाव चिन्ह इस्लाम से प्रेरित होकर लिया है? जानें सच
डिजिटल डेस्क, भोपाल। 19 अक्टू्बर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव का परिणाम आया। पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने इस चुनाव में शशि थरुर को 6800 से ज्यादा वोटों से हराया। बीते 24 सालों में ऐसा हुआ है जब नेहरु-गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस पार्टी का कप्तान बना है। इस बीच सोशल मीडिया पर पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर एक पोस्ट बड़ी तेजी से वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा इस्लाम धर्म से प्रेरित होकर लिया गया है।
वायरल पोस्ट में एक तस्वीर दी गई है जो कि इस्लाम के शिया समुदाय से जुड़े प्रतीक हाथ के पंजे की है। इसमें उर्दू में अब्बास अलहे सलाम लिखा गया है। इस पोस्ट में एक मैसेज लिखा है जिसके अनुसार, इस्लाम धर्म के इसी प्रतीक को कांग्रेस ने अपना चुनाव चिन्ह बना लिया है। मैसेज में आगे लिखा गया है कि इस्लाम के इस प्रतीक से प्रेरित होकर कांग्रेस ने इस अपना चुनाव चिन्ह बनाया है यह बात मुसलमानों को तो पहले से पता थी लेकिन हिंदूओं से यह बात जानबूझकर छिपाई गई। कांग्रेस के ऐसा करने की वजह हिंदूओं की वोटें कटने का डर था।
इसके अलावा एक फेसबुक यूजर ने इस पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, इसे ध्यान से पढ़िए और उन निर्लज्ज हिंदुओं को जगाइए।
पड़ताल - वायरल पोस्ट की सच्चाई का पता करने के लिए हमने इसके बारे में जानकारी एकत्रित की। हमें अपनी सर्च में कुछ मीडिया रिपोर्टस मिलीं, जिनके मुताबिक साल 1952 से 1969 तक कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी थी। इसके बाद साल 1969 में कांग्रेस पार्टी का विभाजन हुआ और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी नई पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर) बनाई। उन्हें पार्टी का चुनाव चिन्ह गाय-बछड़ा मिला।
साल 1977 में आपातकाल के बाद सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस में एक बार फिर विभाजन हुआ। लोकसभा चुनाव में जीते पार्टी के 153 सांसदों में से 76 ने इंदिरा गांधी का साथ छोड़ दिया। इसके बाद इंदिरा ने बचे हुए सांसदों के साथ अपने अलग पार्टी बना ली और इसका नाम उन्होंने कांग्रेस (आई) रखा।
पार्टी का विभाजन होने के बाद इंदिरा गांधी और उनके विरोधी गुट के बीच चुनाव चिन्ह को लेकर खींचतान शुरु हो गई, मामला चुनाव आयोग पहुंचा। चुनाव आयोग ने पार्टी चिन्ह इंदिरा गांधी के गुट को न देकर उनके विरोधी गुट को दिया।
ऐसे मिला कांग्रेस को हाथ का पंजा
इंदिरा गांधी ने अपनी पार्टी के नए चुनाव चिन्ह के लिए चुनाव आयोग में अर्जी दी। जिसके बाद आयोग की तरफ से उन्हें हाथी, साइकिल और हाथ के पंजे में से कोई एक चिन्ह चुनने का विकल्प मिला। इंदिरा ने हाथ के पंजे को चुना। इस तरह कांग्रेस को अपना चुनाव चिन्ह मिला।
इस तरह हमने अपनी पड़ताल में पाया कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह इस्लाम के प्रतीक से लिया गया है यह दावा पूरी तरह फर्जी है। 1978 में पार्टी का चुनाव चिन्ह फ्रीज हो जाने के बाद चुनाव आयोग ने कांग्रेस को हाथ के पंजे के रुप में चिन्ह का विकल्प दिया था।