Vinayaka Chaturthi 2024: बन रहे हैं 3 शुभ संयोग, लेकिन रहेगा भद्रा का साया, जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त
- फाल्गुन माह में यह तिथि 13 मार्च, बुधवार को है
- भद्रा दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से लगेगी
- चंद्रोदय 13 मार्च की सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर होगा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। देवों के देव महादेव और गौरी पुत्र गणेश की पूजा वैसे तो सबसे पहले होती है, जिसके चलते उन्हें प्रथम पूज्य कहा गया है। वहीं सप्ताह में बुधवार का दिन बप्पा को समर्पित माना गया है। ये दिन और भी खास हो जाता है, जब इस दिन चतुर्थी तिथि आती है। बता दें कि, हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि विधान से श्री गणेश की पूजा की जाती है। फाल्गुन माह में यह तिथि 13 मार्च, बुधवार को है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार विनायक चतुर्थी पर तीन शुभ संयोग बने रहे हैं। पहला संयोग बुधवार का दिन है, वहीं इस दिन रवि और इंद्र योग भी बन रहा है। ऐसा कहा जाता है कि, इस योग में पूजा पाठ करने से अधिक पुण्य मिलता है। साथ ही बप्पा आपकी प्रार्थना को जल्द स्वीकार करते हैं। लेकिन, विनायक चतुर्थी के दिन भ्रदा का साया भी रहेगा। व्रत के दिन भद्रा दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से लगेगी और यह देर रात 01 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। आइए जानते हैं इस व्रत और पूजा विधि के बारे में...
तिथि कब से कब तक
तिथि आरंभ: 13 मार्च 2024, बुधवार, देर रात 2 बजकर 33 मिनट (AM) से
तिथि समापन: 13 मार्च 2024, बुधवार रात 11 बजकर 55 मिनट (PM) तक
चंद्रोदय का समय: 13 मार्च की सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर
चंद्रास्त का समय: 13 मार्च की रात 09 बजकर 58 मिनट पर
पूजन विधि
- विनायक चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें।
- इसके बाद गणेश जी के सामने दोनों हाथ जोड़कर मन, वचन, कर्म से इस व्रत का संकल्प करें।
- भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें।
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।
- इसके बाद फल फूल, अक्षत, रोली और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं।
- इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें।
- इस दिन गणेश जी को तिल का लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
- संध्या काल में स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत, चंदन, सिंदूर, नैवेद्य से गणेशजी का पूजन करें।
- गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें।
- गणपति की आरती करें और आशीर्वाद लें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।