Kartik mass Pradosh Vrat 2024: कार्तिक मास के आखिरी प्रदोष व्रत पर इस विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त
- 13 नवंबर, 2024 दिन बुधवार प्रदोष है
- भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा होती है
- इस व्रत में संध्याकाल में पूजा करने का विधान है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, हर महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह दिन देवों के देव महादेव यानि कि भगवान शिव को समर्पित है। दिन के हिसाब से इस व्रत को अलग- अलग नामों से जाना जाता है। फिलहाल, कार्तिक माह का आखिरी प्रदोष व्रत 13 नवंबर, 2024 दिन बुधवार को पड़ रहा है। ऐसे में इसका नाम बुध प्रदोष है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा संध्याकाल में करने का विधान है।
बता दें कि, प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पूर्व की जाती है। यही समय प्रदोष काल कहलाता है। ऐसी मान्यता है कि, प्रदोष के दिन शिवजी कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का बखान करते हैं।
तिथि और योग
तिथि आरंभ: 13 नवंबर 2024, बुधवार की दोपहर 1 बजकर 2 मिनट से
तिथि समापन: 14 नवंबर 2024, गुरुवार की सुबह 9 बजकर 44 मिनट तक तक
पूजा विधि
- सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
- घर में मंदिर की सफाई करें और भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
- इसके बाद गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- शाम के समय जब सूर्यास्त होने वाला होता है उस समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करें।
- विभिन्न फूलों, बेलपत्रों को चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करें।
- शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें। इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
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