विनायक चतुर्थी: बने रहे हैं ये 5 दुर्लभ योग, सुख-समृद्धि के लिए इस विधि से करें पूजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रथम पूज्य माने जाने वाले भगवान श्री गणेश का प्रसन्न करना काफी सरल माना जाता है। इसके लिए उनके भक्त बुधवार के दिन विधि विधान से पूजा बप्पा की पूजा करते हैं। इसके अलावा प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और इस माह यह 16 नवंबर, गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं और मंगल कामना करते हैं।
विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश का पूजन-अर्चन करना लाभदायी माना गया है। इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि...
बन रहे हैं 5 अद्भुत संयोग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन सुकर्मा योग, रवि योग, करण योग जैसे 5 शुभ योग बन रहे हैं। सुकर्मा योग सुबह 10 बजे तक रहेगा, इसके बाद, धृति योग 17 नवंबर को सुबह 7 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा रवि योग और गर व वणिज करण का निर्माण हो रहा है।
शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 16 नवंबर, गुरुवार 12 बजकर 34 मिनट से
तिथि समापन: 17 नवंबर, शुक्रवार सुबह 11 बजकर 03 मिनट तक
महत्व
- ब्रह्म मूहर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें, लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- दोपहर पूजन के समय अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प के बाद षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश की आरती करें।
- इसके बाद श्री गणेश की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं। अब गणेश का प्रिय मंत्र- "ॐ गं गणपतयै नम:" बोलते हुए 21 दूर्वादल चढ़ाएं।
- श्री गणेश को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डुओं का ब्राह्मण को दान दें तथा 5 लड्डू श्री गणेश के चरणों में रखकर बाकी को प्रसाद स्वरूप बांट दें।
- पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
- ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। अपनी शक्ति हो तो उपवास करें अथवा शाम के समय खुद भोजन ग्रहण करें।
- संध्या के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का स्तवन करें।
- संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें तथा "ॐ गणेशाय नम:" मंत्र की माला जपें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।