वट सावित्री व्रत 2024: जानें इस दिन का महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
- सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत खास है
- सुहाग की रक्षा के लिए व्रत रखा जाता है
- व्रत के साथ वट वृक्ष की पूजा की जाती है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री (Vat Savitri) का व्रत रखा जाता है। इसे कई जगहों पर बड़मावस के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना गया है। इस दिन महिलाएं अपने अखंड सुहाग की रक्षा के लिए वट वृक्ष की पूजा और व्रत करती हैं। इस वर्ष यह व्रत 06 जून गुरुवार, यानि कि आज है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार करके वटवृक्ष की पूजा के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। इस व्रत को सौभाग्य देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला बताया गया है। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि और मुहूर्त...
इस मुहूर्त में करें पूजा
अभिजीत मुहूर्त: 06 जून की सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: पहला मुहूर्त सुबह 5 बजकर 23 मिनट से लेकर 07 बजकर 07 मिनट तक
दूसरा मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक
वट सावित्री पूजन विधि
- पूजा के दौरान वृक्ष पर एक लोटा जल चढ़ाने के बाद हल्दी-रोली लगाकर फल-फूल, धूप-दीप से पूजन करें।
- इसके बाद कच्चे सूत को हाथ में लेकर वृक्ष की बारह परिक्रमा करें।
- हर परिक्रमा पर एक चना वृक्ष पर चढ़ाने के साथ ही सूत तने पर लपेटें।
- परिक्रमा पूरी होने के बाद सत्यवान व सावित्री की कथा सुनें।
- इसके बाद बारह तार (धागा) वाली एक माला को वृक्ष पर चढ़ाएं और एक को गले में डालें।
- छः बार माला को वृक्ष से बदलने के बाद एक माला चढ़ी रहने दें और एक पहन लें।
- पूजा समाप्त होने के बाद ग्यारह चने व वृक्ष की बौड़ी (वृक्ष की लाल रंग की कली) तोड़कर जल से निगल लें।
- इसके बाद ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को श्रद्धानुसार दान-दक्षिणा दें।
- प्रसाद के रूप में चने व गुड़ का वितरण करें।
- इस दिन महिलाएं चौबीस बरगद के फल (आटे या गुड़ के) और चौबीस पूरियां अपने आंचल में रखकर बारह पूरी अपने परिवार को खिलाती हैं।
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