Skand Shashthi 2024: भगवान कार्तिकेय को समर्पित है स्कंद षष्ठी का व्रत, जानिए पूजा विधि
- व्रत कांडा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है
- यह व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित है
- स्कंद षष्ठी व्रत 09 सितंबर सोमवार को है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कंद षष्ठी (Skand Shashthi) का व्रत किया जाता है। भगवान स्कंद के अन्य नाम मुरुगन, कार्तिकेयन और सुब्रमण्य हैं। स्कंद षष्ठी को कांडा षष्ठी और कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि, जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय की विधि विधान से पूजा करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसका जीवन सुखमय हो जाता है।
भाद्रपद मास में स्कंद षष्ठी का व्रत 09 सितंबर 2024, सोमवार यानि कि आज रखा गया है। आपको बता दें कि, भगवान कार्तिकेय महादेव शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं और उन्हें भगवान गणेश का छोटा भाई माना जाता है। लेकिन उत्तरी भारत में, स्कंद को भगवान गणेश के बड़े भाई के रूप में पूजा जाता है।
स्कंद षष्ठी तिथि कब से कब तक
स्कंद षष्ठी तिथि आरंभ: 08 सितंबर की रात 07 बजकर 58 मिनट से
स्कंद षष्ठी तिथि समापन: 09 सितंबर की रात 09 बजकर 53 मिनट तक
कब है शुभ तिथि: उदया तिथि के चलते स्कंद षष्ठी का व्रत 9 सितंबर को रखना शुभ माना गया है।
पूजा विधि
- सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- स्कन्द षष्ठी के दिन व्रतधारी व्यक्तियों को दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करना चाहिए।
- एक साफ स्थान पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और पूजा आरंभ करें।
- पूजा में चंपा के पुष्प को अवश्य शामिल करें।
- घी का दीपक जलाएं, साथ ही और अगरबत्ती या धूप जलाएं।
- भगवान कार्तिकेय को रोली का तिलक लगाएं।
- भगवान कार्तिकेय को मिष्ठान अर्पित करें।
- पूजन के बाद भगवान कार्तिकेय की कथा पढ़ें या सुनें।
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