श्रावण मास 2023: कहां हैं शिव के 12 ज्योतिर्लिंग? क्या है इनका महत्व, यहां जानें

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-08 12:47 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सावन के माह में देवों के देव महादेव की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सावन के महाने में शिवलिंग की पूजा करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस माह में शिव की अराधना मात्र से ही व्यक्ति की हर मुराद पूरी हो जाती है। देश भर में भगवान शिव के लाखों मंदिर और शिवलिंग हैं। परंतु देश में शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है। यहां दूर- दूर से भगवान शिव के भक्त अराधना करने आते हैं। शिव के 12 ज्योतिर्लिंग कहां- कहां स्थित हैं और क्या है इनका महत्व, आइए जानते हैं...

1- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, यह माना जाता है कि स्वयं चंद्रदेव ने इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी। मंदिर प्राचीन त्रिवेणी संगम यानि तीन नदियों - कपिला, हिरन और सरस्वती के संगम पर स्थित है।

2- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्ण नदी के तट पर पवित्र श्री शैल पर्वत में स्थित मल्लिकार्जुन, जिसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। शिवपुराण के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग शिव और माता पार्वती का संयुक्त रुप है, यहा शिव को श्री मल्लिकार्जुन स्वामी के रुप में और माता पार्वती को भ्रामराम्बिका के रूप में पूजा जाता है।

3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित महाकालेश्वर को कालों के काल महाकाल कहा जाता है। 12 ज्योतिर्लिंग में से महाकाल ही एकमात्र सर्वोत्तम शिवलिंग है। यह मंदिर उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है जिसे की स्वयंभू अर्थ स्वयं प्रकट हुआ माना जाता है। इस मंदिर की महिमा का वर्णन महाभारत एवं कालिदास के मेघदूत में भी किया गया है।

4- ऊँकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

मध्यभारत की पवित्रतम नदियों में से एक नर्मदा नदी के मध्य में बसा ओंकारेश्वर मन्दिर इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ तीनों लोक का भ्रमण करके प्रतिदिन इसी मंदिर में रात को सोने के लिए आते है। भगवान शिव के साथ मां पार्वती भी यहा विश्राम करते है, साथ ही दोनों चौसर भी खेलते हैं।

5- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

उत्तराखंड में हिमालय की केदार चोटी पर स्थित केदारनाथ, जिसका मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है, इसलिए बद्रीनाथ धाम की यात्रा में केदारनाथ के दर्शन करना महत्वपूर्ण होता है।

6- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

महाराष्ट्र के पूणे से 110 किलोमीटर की दूरी पर सह्याद्रि नामक पर्वत पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है, जिसके कारण इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी कहा जाता है। 12 ज्योतिर्लिंग में से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग छटा माना गया है। इस मंदिर को 13वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था।

7- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। मान्यता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। ये एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहॉं माता पार्वती जी का भी वास है, क्‍योंकि कहा जाता है कि यहा भगवान शिव जी माता पार्वती जी के साथ निवास करते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भागीरथ ने तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि भगवान शिव धरती पर आ रही गंगा के वेग को धारण कर लेंगे।

8- त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसके निकट ही ब्रह्मागिरि पर्वत भी है, जिससे गोदावरी नदी शुरू होती है। इस मंदिर में लोगो कालर्सप दोष के निवारण के लिए वीधि वत पूजा करते है। मंदिर में तीन छोटे छोटे शिवलिंग है जो त्रिदेव यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माने जाते हैं।

9- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

झारखंड के देवघर में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है, जिससे कामना लिंग भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग का संबंध रावण से है। रावण ने महादेव के प्रसन्न करने के लिए अपने 9 सिरों को काटकर शिवलिंग पर चढ़ा दिया, जब वह अपना 10वां सिर काटने वाला था, तभी शिव प्रकट हो गए। रावण ने वरदान में कामना लिंग को मांग और लंका की ओर चलने लगा पर बीच में ही शिवलिंग रख दिया। वह शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया। इस वजह से इस जगह का नाम बैजनाथ धाम पड़ गया। हालांकि इसे रावणेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है।

10- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

गुजरात के द्वारका में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। मान्यताओं के अनुसार नागेश्वर का मतलब नागों का ईश्वर या नागों का देवता वासुकी है जो शिव के गले में माला के रूप में रहता है।

11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

तमिलनाडु के रामनाथपुरम में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है। हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुन्दर शंख के आकार का एक द्वीप है। इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण स्वय भगवान श्री राम ने किया था, यह कथा शिव महापुराण में वर्णित है।

12- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाराष्ट्र के औरंगाबाद से करीह 29 किमी की दूरी पर वेरुल नाम के गांव में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थिक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां भगवान शिव अपनी परम भक्त घुष्मा के कहने पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए थे। मान्यता है कि घुष्मेश्वर में आकर शिव के इस स्वरूप के दर्शन से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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