सावन विनायक चतुर्थी: इस योग में करें भगवान गणेश की पूजा, बरसेगी कृपा

चतुर्थी आज रविवार 20 अगस्त 2023 को है

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-20 06:18 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रिद्धि- सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश की पूजा से समस्त कष्टों का नाश होता है। वैसे तो बप्पा प्रथम पूज्य कहे गए हैं यानि कि किसी भी पूजा में सबसे पहले श्री गणेश की पूजा होती है। लेकिन ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सालभर में कई व्रत और त्योहार ऐसे आते हैं, जब बप्पा अपने भक्तों पर जमकर कृपा बरसाते हैं। जैसे कि पवित्र माह सावन की चतुर्थी पर व्रत रखने के साथ विधि विधान से पूजा करने पर बप्पा का आशीर्वाद मिलता है। यह चतुर्थी आज रविवार यानि कि 20 अगस्त 2023 को है।

विनायक चतुर्थी को भगवान गणेश को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा गया है। ऐसे में इस दिन गणपति की आराधना करने से धन-लाभ, सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान गणेश की पूजा करने से सभी दुख समाप्त हो जाते हैं। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि...

इस दिन बन रहे हैं ये शुभ योग

साध्य योग: 20 अगस्त, रविवार को रात 09.58 बजे तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: 20 अगस्त सुबह 05.53 बजे से 21 अगस्त सुबह 04.22 बजे तक

रवि योग: 20 अगस्त सुबह 06.21 बजे से 21 अगस्त सुबह सुबह 04.22 बजे तक

अमृत सिद्धि योग:20 अगस्त सुबह 5.53 बजे से पूरे दिन

शुभ योग: 20 अगस्त सुबह 09.58 बजे से 21 अगस्त रात 10.20 बजे तक

पूजन विधि

- विनायक चतुर्थी पर स्नान कर गणेश जी के सामने दोनों हाथ जोड़कर मन, वचन, कर्म से इस व्रत का संकल्प करना चाहिए।

- भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें। भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।

- इसके बाद फल फूल, अक्षत, रोली और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं। इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें।

- इस दिन गणेश जी को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि तिल का लड्डू या मोदक का भोग लगाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

- संध्या काल में स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत, चंदन, सिंदूर, नैवेद्य से गणेशजी का पूजन करें।

- इस दिन गणेश जी को लाल फूल समर्पित करने के साथ अबीर, कंकू, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, मौली चढ़ाएं। मोदक, लड्डू, पंचामृत और ऋतुफल का भोग लगाएं।

- इसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें।

- फिर वैशाख चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाएं।

- गणपति की आरती करने के बाद अपने मन में मनोकामना पूर्ति के लिए ईश्वर से विनती करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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