संकष्टी चतुर्थी अक्टूबर: इस विधि से करें विघ्नहर्ता गणेश की पूजा, जानें पूजा का मुहूर्त

इस व्रत से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-30 11:12 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में हर महीने ऐसे कई सारे व्रत आते हैं, जब अलग- अलग देवी देवताओं की विधि विधान से पूजा की जाती है। इनमें से एक है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जो कि प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है। इस माह यह 02 अक्टूबर यानी कि सोमवार को है। इस व्रत को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस दिन व्रत करने के साथ ही चंद्र देव की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन पूरे विधि विधान से श्री गणेश की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को सुख-समृद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि...

पूजन विधि

- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें।

- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें।

- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।

- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें।

- बप्पा को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।

- ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।

- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।

- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।

- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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