Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन पर है भद्रा का साया, राखी बांधने के लिए मिलेगा बस इतना समय

  • 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जा रहा है रक्षाबंधन
  • 19 अगस्त, रात 2:21 मिनट से भद्रा काल शुरू होगा
  • भद्रा का समापन 19 अगस्त, दोपहर 1:30 पर होगा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-17 10:28 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग का सबसे पवित्र महीना सावन अपने अंतिम चरण में है और इस माह का आखिरी और सबसे बड़ा त्योहार है रक्षाबंधन (Raksha Bandhan), जो कि पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। वहीं भाई भी अपनी बहन को उपहार के साथ ही उसकी रक्षा का वचन देता है।

इस बार रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जा रहा है। सावन महीने का आखिरी सोमवार होने के कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। हालांकि, पिछले साल की तरह इस वर्ष भी रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया है। माना जाता है कि भद्रा जैसी अशुभ घड़ी में राखी नहीं बांधनी चाहिए। आइए जानते हैं भद्रा का समय और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त...

तिथि कब से कब तक

श्रावण पूर्णिमा तिथि आरंभ: 19 अगस्त 2024, सोमवार की सुबह 3 बजकर 04 मिनट से

श्रावण पूर्णिमा तिथि समापन: 19 अगस्त 2024, सोमवार की रात 11 बजकर 55 मिनट तक

भद्रा और राखी बांधन का शुभ समय

भद्रा पुंछ: 19 अगस्त की रात 2 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा।

भद्रा मुख: सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।

भद्रा समापन: भद्रा का समापन दोपहर 1 बजकर 30 पर होगा।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

राखी बांधने का समय: 19 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 30 मिनट के बाद ही राखी बांधी जा सकती है।

खास मुहूर्त: 19 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 20 मिनट तक

राखी बांधने का कुल समय: 2 घंटे 37 मिनट का समय

प्रदोष काल: शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक प्रदोष काल के दौरान भी राखी बांधी जा सकेगी।

भद्रा काल में क्यों नहीं बांधते राखी?

आपको बता दें कि भद्राकाल में किसी भी तरह के शुभ कार्य करने की मना ही होती है। ऐसे में भद्रा काल में भाई की कलाई पर राखी बंधना वर्जित है। मान्यता के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है। भद्रा शनिदेव की तरह उग्र स्वभाव की हैं। भद्रा को ब्रह्रााजी ने शाप दिया कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा वह पूर्ण नहीं होगा।

वहीं एक पौराणिक कथा के अनुसार, शूर्पनखा ने भद्रा काल में ही रावण की कलाई पर राखी बांधी थी। रावण का पूरा साम्राज्य समाप्त होने का एक बड़ा कारण भ्रदा माना गया है। ऐसे में इस अवधि में राखी ना बांधने को कहा जाता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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