राधा अष्टमी 2023: जानें कब मनाया जाएगा ये पर्व, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि

राधा जी को स्वयं लक्ष्मी जी का अंश माना गया है

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-21 06:17 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कृष्णजन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से देशभर में मनाया जाता है। इसके पंद्रह दिन बाद कृष्ण जी की प्रिय राधा रानी का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बरसाने में राधा जी का जन्म हुआ था। इस दिन को राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है और इस वर्ष यह पर्व 23 सितंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। पुराणों में राधा जी को स्वयं लक्ष्मी जी का अंश माना गया है।

राधा अष्टमी को राधा जयंती भी कहा जाता है। राधा अष्टमी के दिन राधा रानी का श्रृंगार होता है और विधि विधान से पूजन किया जाता है। इस पर्व को खास तौर पर, मथुरा, वृंदावन और बरसाने में बड़े जोर-शोर के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं राधा अष्टमी के मुहूर्त ​और पूजा विधि के बारे में...

शुभ मुहूर्त

तिथि आरंभ: 22 सितंबर, शुक्रवार दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से

तिथि समापन: 23 सितंबर, शनिवार दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक

पूजा विधि

- राधा अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि से निवृत्त हों।

- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को अर्ध्य दें।

- अब एक साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।

- कपड़े के ऊपर भगवान श्री कृष्ण और आराध्या देवी राधा जी की प्रतिमा स्थापित करें।

- पूजा स्थल पर कलश भी स्थापित करें।

- पंचामृत से स्नान करवाकर सुंदर वस्त्र पहनाकर दोनों का श्रंगार करें।

- कलश पूजन के साथ राधा कृष्ण की पूजा भी करें।

- पूजा के दौरान फल-फूल और मिष्ठान का भोग लगाएं।

- राधा कृष्ण के मंत्रों का जाप करें और कथा सुनें

- पूजा के आखिर में राधा कृष्ण की आरती करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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